मरीज के व्यवहार में पागलों जैसा परिवर्तन आना भी ‘लो शुगर’ की एक निशानी है. तो यदि डायबिटीज का मरीज, जो अभी तक एकदम ठीक-ठाक था, अचानक ही उत्तेजक हो जाए, पागलों सा व्यवहार करे, संभाले न संभले तो यह संभावना है कि उसका ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत कम हो गया हो
कहानी
यह कहानी डायबिटीज और ब्लडप्रेशर के एक पैंसठ वर्षीय रिटायर्ड फौजी की है. मेरे मरीज. रतलाम से हर माह मुझे दिखाने रेल में बैठकर पत्नी के साथ आया करते. बेहद चुप रहने वाले. शर्मीले, शांत और सीधे-साधे. फौजी इमेज के ठीक विरुद्ध पर बेहद अनुशासित, आज्ञाकारी टाइप का मरीज जो डाक्टर को सौभाग्य से ही मिलता है. पति-पत्नी की यह वृद्ध जोड़ी ऐसी दिलकश लगती थी कि मेरा दिल जुड़ा जाता था उनको देखकर.
पर इस बार आए तो दोनों ही बड़े परेशान. पत्नी बेहद उत्तेजित और गुस्सा-सी. और ये अपराध बोध और शर्म से सिर झुकाए. पत्नी ने शिकायती स्वर में बताया कि इस बार तो इनने ऐसी गजब की शर्मनाक हरकत की है कि क्या कहूं? मैं तो इन्हें देवता समझती थी. और इनने अभी रास्ते में ट्रेन में मुझे इतनी गालियां, भद्दी-भद्दी बातें.. वे रोने लगीं. पूछने पर पता चला कि घर से निकलने में लेट हो रहे थे, सो दवाई खाकर नाश्ते की पोटली लेकर वे लोग स्टेशन आ गए. ट्रेन देर से आई. वे चढ़े. कुछ दूर जाते ही फौजी महाराज अचानक ही पत्नी की किसी बात पर भयंकर उत्तेजित हो उठे. वह शख्स जो चुप रहने और बहुत कम तथा सौम्य बातें करने के लिये विख्यात तथा कुख्यात था अचानक ही बेहद हिंसक हो उठा. खूब गालियां. धक्का-मुक्की. साथ के यात्रियों को भी .. पत्नी और साथ के यात्रियों ने पुचकारा, संभाला, समझकर नाश्ता वगैरह दिया तो थोड़ी देर में ये वापस ऐसे बन गए मानो कुछ हुआ या किया ही न हो. पत्नी से बोले कि मैंने यह सब किया ही नहीं. मैंने बात समझ ली. दोनों ही अपनी-अपनी जगह सही थे. मरीज को हाईपोहाईसीमिया (रक्त में ग्लूकोज कम हो जाना या ‘लो शुगर’) हुआ होगा. वे डायबिटीज की दवा घर से ही खाकर निकले थे और नाश्ता करने में बहुत देर हो जाने के कारण ऐसा हुआ था.
शिक्षा
मरीज के व्यवहार में पागलों जैसा परिवर्तन आना भी ‘लो शुगर’ की एक निशानी है. तो यदि डायबिटीज का मरीज, जो अभी तक एकदम ठीक-ठाक था, अचानक ही उत्तेजक हो जाए, पागलों सा व्यवहार करे, संभाले न संभले तो यह संभावना है कि उसका ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत कम हो गया हो. इस फौजी को भी यही हुआ था. वो तो सही समय पर नाश्ता-चाय करा दिया तो ठीक हो गया वर्ना वे बेहोश हो सकते थे, उनको मिर्गी जैसे दौरे पड़ सकते थे और वे मर भी सकते थे – और यह सब मात्र ब्लड प्रेशर कम होने और कम होते चले जाने के कारण होता.
प्राय: हाथ-पांव कांपने, धड़कन होने, आंखों के आगे अंधेरा सा छाने, लड़खड़ाने, पसीना आने जैसी चेतावनियों से मरीज को पता चल जाता है कि शायद मेरी शुगर कम हो रही है. पर यदि बहुत लंबे समय से डायबिटीज हो तो कई बार इन चेतावनियों को पैदा करने वाला शरीर का ‘एड्रिनर्जिक सिस्टम’ काम नहीं करता है. शुगर कम होती जाती है और मरीज को चेतावनी ही नहीं मिल पाती. वह या तो सीधे बेहोश हो जाता है या पागलों सा व्यवहार करने लगता है. यह बात यदि हमें पता न हो तो उस मरीज के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. डाक्टर तक कई बार ऐसे मरीजों को लकवा या साइकोसिस मान बैठते हैं. पुलिस ने कई बार इन्हें नशेड़ी मानकर इनको लॉकअप में डाल देने की गलती भी की है जहां ये सुबह तक या तो बेहोश मिले या ‘लॉकअप में मौत’ के शिकार भी कहाए हैं.
डायबिटीज में ब्लड शुगर का कम हो जाना बेहद खतरनाक हो सकता है. पर यह होता क्यों है? आम तौर पर कारण वही होता है जो इस फौजी के केस में था – अर्थात दवाई तो खा ली और खाना खाने में या तो देर हो गई या भूख न होने के कारण रोज की अपेक्षा कम खाया. गोली ब्लड शुगर कम करती गई और खाना आपने खाया नहीं. ब्लड शुगर से ही दिमाग काम करता है. बार-बार शुगर कम हो तो मस्तिष्क को स्थायी रूप से नुकसान भी पहुंच सकता है.
याद रखें :
1- डायबिटीज की गोली/इंजेक्शन के साथ/बाद भोजन लेना कभी न भूलें. न ही देर करें.
2- डायबिटीज की गोली यदि सुबह ली है तो वह चौबीस घंटे तक कुछ न कुछ असर रखती है. तो जरूरी है कि थोड़ा-थोड़ा करके अपने भोजन को दिन में यूं बांटकर खाएं कि खाली पेट न रहना हो.
3- डायबिटीज के रोगी को, जो कुछ देर पहले तक एकदम ठीक था अचानक ही कुछ भी नया होने लगे – घबराहट, बेचैनी, पसीना, हाथ कांपना, चक्कर, बेहोशी या व्यवहार में परिवर्तन – तो इसे हाईपोहाईसीमिया (लो शुगर) मानकर तुरंत कुछ मीठा खिला दें फिर डाक्टर को दिखाएं.
यह भी याद रखें :
डायबिटीज हो तो लो शुगर हो जाने के बहाने चाहे जब मीठा खा लेने का अवसर न खोजें. यदि वास्तव में ही ऐसा बार-बार होता है तो तुरंत डाक्टर से पूछें क्योंकि दवा तथा भोजन के बीच उचित सामंजस्य बना रहे तो ऐसा नहीं होना चाहिए.