स्वामी निश्चलानंद पुरी के शंकराचार्य हैं. विधिवत. यानी न तो उनने पीठ को धाम घोषित कर रखा है, न वे स्वयं घोषित शंकराचार्य हैं. पुरी का पीठ सर्वमान्य चार धामों में से एक है और आदि शंकराचार्य की दी गई व्यवस्था के अनुसार निश्चलानांद शंकराचार्य हैं. उनके धाम और पद को लेकर कोई विवाद नहीं है. यानी वे फर्जी धाम के फर्जी शंकराचार्य नहीं हैं. इसलिए आस्थावान हिंदू अगर उम्मीद करें कि स्वामी निश्चलानंद धर्म की समझ और पद की जिम्मेदारी से ही बोलेंगे तो स्वाभाविक ही है.
लेकिन उनने अभी कहा कि हिंदू उग्रवादी बने तो तीसरा महायुद्ध हो जाएगा. ‘‘मैं पिछले सत्रह सालों से कहता आ रहा हूं कि हिंदुओं को इतना मजबूर न किया जाए कि एक दिन वे हथियार उठाने को बाध्य हों. आज विदेशी षड्यंत्र इस तरह गहरे फैल गया है कि हिंदुओं के गंगा, राम सेतु, राम मंदिर जसे मानबिंदुओं को अपमानित करने के लिए हिंदू ही विदेशी एजेंट बन कर सामने खड़े हो गए हैं’’ – स्वामी निश्चलानंद का यह कथन एक हिंदी अखबार में छपा है. शंकराचार्य ने कहा कि हिंदुओं को उग्रवादी बनाने को इसी तरह मजबूर किया गया तो संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल हो न हो, एक लाख में एक हिंदू तो ऐसा होगा ही जो राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए हथियार उठा लेगा. हमारे देवी-देवती राम, कृष्ण, काली, दुर्गा सबने शस्त्रों से ही दुष्टों का संहार किया. उनके हाथों में हथियार रहते हैं. इससे अगर उन्हें भी उग्रवादी माना गया तो फिर मुझे भी अपने आप को उग्रवादी मानने में कोई आपत्ति नहीं होगी.
स्वामी निश्चलानंद ने कहा – साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के घर से कोई आपत्तिजनक सामान नहीं मिला न जांच में कोई जानकारी मिली. फिर भी उन्हें घोर प्रताड़ना दी जा रही है जबकि संसद पर हमला करने वाले जेलों में मजा काट रहे हैं.
पुरी के शंकराचार्य का इतना बड़ा उद्धरण मैंने दिया तो इसलिए कि वे प्रवीण तोगड़िया नहीं है. विश्व हिंदू परिषद के इस नेता को एक टीवी चैनल ने भाषण देते हुए दिखाया कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर का तो चार-चार बार नार्को टैस्ट किया गया जबकि डान सलेम का एक बार भी नहीं किया गया. प्रवीण तोगड़िया कैंसर के विशेषज्ञ डॉक्टर हैं लेकिन तथ्यों से उनका कोई लेना-देना नहीं है. वे नहीं जानते कि सलेम का नार्को टैस्ट कितनी बार हुआ. लेकिन प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नार्को टैस्ट को बदनाम करने और हिंदू को गुस्सा दिलाने के लिए कि उनकी एक साध्वी का तो चार बार नार्को टैस्ट किया जाता है जबकि अबु सलेम जैसे अपराधी सरगना मुसलमान का एक बार भी नहीं. प्रवीण तोगड़िया सरासर झूठ बोल रहे थे क्योंकि सब जानते हैं कि अबु सलेम का नार्को टैस्ट और ब्रेन मैपिंग सब कुछ हुआ है. तोगड़िया विश्व हिंदू परिषद के नेता हैं और उनसे हिंदू भी उम्मीद नहीं करते कि सांप्रदायिकता भड़काने में तथ्यों और सच्चाई का ध्यान रखेंगे.
प्रवीण तोगड़िया जसे ही योग गुरु रामदेव हैं. वे भी कहते फिर रहे हैं कि चार-चार बार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नार्को टैस्ट उन्हें प्रताड़ित करने के लिए किया गया है. एक साध्वी का तो चार बार लेकिन आतंकवादियों और नेताओं का नार्को टैस्ट तो एक बार भी नहीं करवाया जाता. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के मामले में जांच में कुछ नहीं निला इसलिए मामला संदिग्ध हो जाता है. बेचारे रामदेव भी प्रचारक हैं. संघ के या विहिप के नहीं योग के. और प्रचारक को भी तथ्यों और सच्चाई से कम ही लेना-देना होता है. उन्हें नहीं मालूम कि आतंकवादियों और नेताओं का नार्को टेस्ट करवाया जाता है या नहीं. उन्हें यह भी नहीं मालूम कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जांच में से क्या तथ्य निकल कर आए हैं. अगर कुछ नहीं निकला होता तो क्या न्यायालय उन्हें हिरासत में रखने की अनुमति देता. मुंबई के आतंकवादी निरोधी दस्ते ने साफ कहा है कि हमने एक भी ऐसा व्यक्ति गिरफ्तार नहीं किया है जिसके खिलाफ हमारे पास सबूत नहीं हैं.
लेकिन रामदेव और स्वामी निश्चलानंद दस्ते की एक भी बात पर एतबार नहीं करते. उन्हें तो भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह पर ही विश्वास है जो कहते चले आ रहे हैं कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जांच में कुछ नहीं निकला है तभी तो बार-बार उनका नार्को टैस्ट करवाया जा रहा है. राजनाथ सिंह का कहना फिर भी समझ जा सकता है क्योंकि वे तो मालेगांव बम विस्फोट में संघ परिवारी संगठनों और कार्यकर्ताओं के शामिल होने के तथ्यों का राजनीतिकरण कर रहे हैं. मालेगांव के आरोपियों को बचाने का एक यही तरीका वे जानते हैं. उन्हें यह करना इसलिए जरूरी है कि उनकी पार्टी ही लगातार प्रचार करती आई है कि यह इस्लामी आतंकवाद है. और देश के सारे मुसलमान आतंकवादी हों या नहीं पकड़े गए सभी आतंकवादी मुसलमान हैं. ओर चूंकि कांग्रेस को मुसलमानों के वोट चाहिए इसलिए उसकी सरकार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करती.
मालेगांव बम विस्फोट की जांच इस प्रचार को झूठा ठहराती है और बताती है कि मुसलमान बहुल इलाकों में हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं. जांच में ऐसी साई निकल कर आए तो आतंकवाद के विरुद्ध संघ वालों का प्रचार ही झूठ नहीं लगता यह बात भी सामने आती है कि सिर्फ मुसलमान ही आतंकवादी नहीं होते हिंदूवादी संगठन भी हिंदुओं को आतंकवादी बना रहे हैं. यह तथ्य स्थापित हो जाए तो आतंकवाद भारत नामक राष्ट्र को तोड़ने वाला मुसलमान षड्यंत्र नहीं रहता. वह उग्रवाद और कट्टरवाद की करतूत हो जाता है जिसमें हिंदू-मुसलमान उग्रवादी संगठन समान रूप से लगे हुए हैं.
अब हिंदू संगठन ऐसी जांच को झूठी और कांग्रेस की साजिश बताए बिना रह नहीं सकते. सिर्फ इसलिए नहीं कि इससे उनके मुसलमान विरोध की राष्ट्रवादी हवा निकल जाती है. इसलिए भी कि हिंदुत्व और हिंदुत्ववादी संगठन अपने सभी सिद्धांतों और कार्यो के लिए जो प्रखर राष्ट्रवादी औचित्य दिया करते हैं वह भी झूठा और निराधार साबित होता है. मैं बता चुका हूं कि संघ और हिंदुत्व की आस्था में हिंदू ही राष्ट्र है. बाकी सब बाहर के समुदाय हैं. इसलिए हिंदुओं के सारे काम उनकी परिभाषा में राष्ट्रीय कार्य हैं. और इसलिए हिंदू अगर बम भी फोड़ रहे हैं तो यह तो राष्ट्र और धर्म की रक्षा में किया गया राष्ट्रीय कार्य है. जरा समझिए कि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने क्या कहा है. ¨हिंदूवादी संगठन नहीं भी हों तो भी मजबूर किए गए तो लाख में एक हिंदू तो ऐसा निकलेगा जो राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए हथियार उठा लेगा.
यानी मालेगांव में प्रज्ञा सिंह ठाकुर और उनके साथियों ने बम विस्फोट कर के जो छह मुसलमानों को मारा और नब्बे को घायल किया तो यह तो राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए किया क्योंकि मुंबई, दिल्ली, बंगलूर, अमदाबाद आदि में मुसलमानों ने बम विस्फोट कर के राष्ट्र पर जो हमला किया उसका जवाब तो देना था. आपको याद होगा कि कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रवक्ता रहे राम माधव ने मालेगांव बम विस्फोट में पकड़ी गई साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और उनके साथियों के बारे में क्या कहा था. उनने बड़ी गंभीरता से कहा कि समाज को सोचना चाहिए कि प्रखर राष्ट्रवादी संगठनों से जुड़े लोग ऐसे काम करने को क्यों मजबूर होते हैं? क्योंकि वे राष्ट्र पर होते निरंतर हमलों को सह नहीं पाते और एक दिन हमलावरों को उन्हीं के तरीकों से जवाब देते हैं. यानी वे जो बम विस्फोट आदि की हिंसा करते हैं वह राष्ट्र को तोड़ने वाला आतंकवाद नहीं होता. वह राष्ट्र की रक्षा के लिए किया गया राष्ट्रीय कार्य है. यानी हिंदू हिंसा हिंसा न भवति. यह तो राष्ट्र रक्षा है.
इसीलिए आप देखिए कि ¨हदुत्ववादी अखबारों में लेख लिख कर बता रहे हैं कि मालेगांव जैसी घटनाएं तो वाजिब हिंदू क्रोध की अभिव्यक्ति हैं. हिंदू रोज-रोज देखते हैं कि जिहादी जहां चाहें तब बम विस्फोट करते हैं और हिंदुओं-बेकसूर हिंदुओं को मौत के घाट उतार देते हैं. पुलिस और खुफिया एजेंसियां कुछ नहीं कर पातीं. राज्य की रक्षा एजेंसियां कुछ नहीं करतीं. कांग्रेस और दूसरी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को मुसलमान वोट चाहिए क्योंकि उनके बिना वे सत्ता में नहीं आ सकती. आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे तो मुसलमान नाराज हो जाते हैं. उन्हें संतुष्ट रखने के लिए आतंकवाद के खिलाफ नरम रवया अपनाया जाता है. सख्त कानून नहीं बनाए जाते. लेकिन मारे जाते हैं हिंदू. वे कब तक सहन करें. उनका गुस्सा फूटता है तो मालेगांव होता है. हिंदुओं को ऐसी हिंसा करने को मजबूर किया जाता है. बाबरी मस्जिद गिरा कर और गुजरात कर के जिन राष्ट्रवीरों ने भारत के मुसलमानों के पास कोई चारा नहीं छोड़ा वही कह रहे हैं कि हिंदू आतंकवाद के कारण समझने की कोशिश करो.
सांप्रदायिक विचारधारा में माननेवाले हिंदुत्ववादी कहें कि हिंदू मजबूर किए जा रहे हैं तो आप समझ सकते हैं कि उन्हें अपनी सांप्रदायिक हिंसा को सही बताने का कारण चाहिए. लेकिन जब पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद अपना धर्म और अपना धार्मिक दायित्व भूल कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भाषा में बोलने लगे और चेतावनी दें कि हिंदू उग्रवादी हुए तो तीसरा महयुद्ध हो जाएगा तो आप जैसे धर्मिक निष्ठा वाले हिंदू क्या करें? शंकराचार्य को कहें कि स्वामी अपने मठ में रहो. हमारे धर्म और राष्ट्र को हम देख लेंगे.