चक्र सुदर्शन
मन से यदि हम चाहते, देश रहे ख़ुशहाल, मिलकर रहना सीख लें, सब भारत के लाल। सब भारत के लाल, बिहारी हों कि मराठी, लेकिन भाई पर भाई बरसाता लाठी। चक्र सुदर्शन टूट रहा है, इस अनबन से, सीमाओं में रहे, मुम्बई की ये मनसे। अशोक चक्रधर |
चक्र सुदर्शन
मन से यदि हम चाहते, देश रहे ख़ुशहाल, मिलकर रहना सीख लें, सब भारत के लाल। सब भारत के लाल, बिहारी हों कि मराठी, लेकिन भाई पर भाई बरसाता लाठी। चक्र सुदर्शन टूट रहा है, इस अनबन से, सीमाओं में रहे, मुम्बई की ये मनसे। अशोक चक्रधर |