करीब ३१ साल पहले उत्तर प्रदेश के मेरठ इलाके के हाशिमपुरा कांड में ४२ युवकों की हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी (पीएसी) के १६ जवानों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। इस तरह हाईकोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। इन १९ जवानों में से तीन की पहले ही मौत हो चुकी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हत्याकांड २ मई, १९८७ को ४२ युवकों की हत्या हुई थी। अब दिल्ली हाइकोर्ट ने सभी को हत्या, अपहरण और साक्ष्यों को मिटाने का दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने साल २०१५ में आरोपी में सभी १९ पीएसी जवानों को बरी कर दिया गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट में मारे गए मुस्लिम युवकों के परिवारों की तरफ से, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य के तरफ याचिका दायर की गयी थी। आरोप था कि १९८७ में रिजर्व पुलिस बल पीसी के जवानों ने ४२ मुस्लिम युवकों को उनके घरों से उठा कर उनकी हत्या कर दी थी। दिल्ली की निचली अदालत ने इस मामले में सभी १९ आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था।
पहले ये मामला उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में चल रहा था लेकिन सुनवाई में देरी की वजह से मारे गए लोगों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद सुप्रीम दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट में मामला ट्रांसफर हो गया था। अब इसपर फैसला आ गया है और इन जवानों को हत्या का दोषी मन गया है।