अब तक की स्थिति में विधानसभा चुनाव किस ओर जाता दिख रहा है?
पूरी दुनिया में बदलाव का माहौल है. अरब देशों से लेकर अमेरिका तक आंदोलन चल रहे हैं. भारत में भी अन्ना हजारे का आंदोलन काफी बड़ा हुआ. तो जब हर ओर बदलाव का माहौल है तो पंजाब भी इससे अलग नहीं है. मैं राज्य के अलग-अलग हिस्सों में पिछले कई महीने से जाकर लोगों से मिल रहा हूं. सूबे के लोगों की आंखों में वही जज्बा दिख रहा है जो 1947 में यहां के बुजुर्गों की आंखों में था. उस वक्त देश को बनाने का जज्बा था और इस बार राज्य को बचाने का जज्बा है. इसलिए मैं कह सकता हूं कि पंजाब के इस विधानसभा चुनाव को बदलावों के लिए याद किया जाएगा.
पंजाब के सामने विकास, अर्थव्यवस्था की बुरी सेहत और बीमार कृषि जैसे कई वास्तविक मुद्दे हैं, लेकिन इन पर कोई बात नहीं कर रहा. क्या पंजाब की राजनीति में अब मुद्दों का कोई मोल नहीं है?
मैं अक्सर दोहराता आया हूं कि इस बार पंजाब में चुनाव दो तरह के लोगों के बीच हो रहा है. इनमें से एक पक्ष वैसा है जो यथास्थितिवादी है और दूसरा पक्ष ऐसा है जो बदलाव चाहता है. दुर्भाग्य से राज्य की जो स्थापित पार्टियां हैं जैसे शिरोमणी अकाली दल, कांग्रेस और भाजपा, ये तीनों यथास्थितिवादी हैं. इसलिए यहां भाई-भतीजावाद भी दिख रहा है और मुद्दे भी गुम होते दिख रहे हैं. लेकिन इसमें अच्छी बात यह है कि सूबे के लोग इन तीनों पार्टियों के खेल को समझ गए हैं और वे बदलाव के पक्ष में दिख रहे हैं.
आपके राजनीतिक विरोधियों का कहना है कि मनप्रीत बादल खुद तो अपने उम्मीदवार जिता नहीं पाएंगे लेकिन दूसरों का खेल जरूर खराब करेंगे. इस पर आप क्या कहेंगे?
ऐसे लोगों को जवाब देने का काम चुनावी नतीजे करेंगे. आप इस बात का यकीन कीजिए कि इस बार के नतीजे हैरान करने वाले होंगे. कुछ ऐसे जिसकी उम्मीद किसी को नहीं है. लोगों ने आजादी के बाद के 64 साल में विभिन्न विकल्पों को आजमाकर देख लिया है और वे अपने आप को ठगा हुआ पा रहे हैं. वे समझ रहे हैं कि अगर इस बार बदलाव का मौका चूके तो फिर भविष्य अंधकारमय ही रहेगा.
तो क्या चुनावों के बाद पंजाब में जो अगली सरकार बनेगी उसकी चाबी आपके पास ही रहेगी?
हमारा तो मानना है कि सिर्फ चाबी ही नहीं बल्कि पंजाब में हम सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. मैं छोटे-छोटे स्तर पर जाकर लोगों से सीधे मिल रहा हूं और बदलाव की आहट को महसूस कर रहा हूं. इतिहास इस बात का गवाह है कि पंजाब ने कई मौकों पर देश को रास्ता दिखाने का काम किया है. इस बार भी ऐसा ही होगा. पंजाब को कुर्बानी के लिए जाना जाता है. मुझे इस बात पर रोना आता है कि जिस मिट्टी के लिए भगत सिंह जैसे महान सपूतों ने कुर्बानी दी उसकी हालत इन लोगों ने कैसी कर दी है. आज हर पंजाबी यह महसूस कर रहा है कि ऐसे लोगों की कुर्बानी के मकसद को पूरा करने के लिए राज्य में बदलाव की जरूरत है.
अगर आपको इतनी सीटें नहीं मिलतीं कि आप सरकार बना पाएं तो आप किसका समर्थन करेंगे?
हम सियासत करते हैं सौदा नहीं. अगर हमारे सभी मुद्दों पर कोई पार्टी सहमति देती है तो उसका समर्थन करने में हमें कोई एतराज नहीं है. हमारी किसी से निजी खुन्नस तो है नहीं. हम दूसरे दलों का विरोध उनकी नीतियों की वजह से कर रहे हैं. लेकिन सभी मतलब सभी, हम किसी भी मुद्दे पर किसी दल से सौदा नहीं करने वाले हैं.
आपकी पार्टी जिन मुद्दों को उठा रही है उनसेे पंजाब का युवा वर्ग खुद को ज्यादा जुड़ा हुआ पा रहा है. लेकिन यह वर्ग पोलिंग बूथ तक नहीं पहुंचता. इससे क्या आपकी चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ेगा?
शुरुआत से ही राज्य के नौजवान हमारे संघर्ष की ताकत रहे हैं. हम उनके बीच अपनी बात पहुंचाने और उन्हें जगाने में कामयाब रहे हैं. अब हम उन्हें इस बात के लिए जागरूक कर रहे हैं कि वे पोलिंग बूथ तक जाकर मतदान करें. मैं खुद अगले 20 दिन में तकरीबन 80 सभाएं करने वाला हूं. इनके जरिए मैं युवाओं को इस बात के लिए प्रेरित करूंगा कि वे मतदान करें. हम उन्हें समझा रहे हैं कि कुल आबादी में आपकी हिस्सेदारी अच्छी-खासी है इसलिए आप वोट देकर बदलाव के वाहक बन सकते हैं.