मैं एक लेखिका हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी किसी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा बनूंगी या कोई चुनाव लड़ूंगी. लेकिन पिछले कुछ सालों को देखें तो दुनिया भर में जनआंदोलनों की एक लहर चल रही है. विरोध करने और अपने अधिकारों के लिए लोग सड़कों पर निकले हैं. मुझे लगता है कि यही भावना भारत में भी दिखी जब भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लाखों युवा अन्ना हजारे के साथ हो गए और उस आंदोलन से अरविंद केजरीवाल की पार्टी उभरी.
मुझे लगता है कि लोग आज बेबस हैं और देश की कमान फिर अपने हाथ लेने के लिए हमें कुछ करना होगा. इसलिए मैं आम आदमी पार्टी से जुड़ी. मेरे लिए फंडिंग पर पार्टी की पारदर्शिता बहुत महत्वपूर्ण है. मुझे विश्वास है कि यह पारदर्शी व्यवस्था जारी रहेगी. नहीं तो मैं पार्टी में नहीं रहूंगी.
राष्ट्रीय मुद्दों पर भी ध्यान देना जरूरी है तो स्थानीय मुद्दों की भी उतनी ही बात होनी चाहिए. आज हमारे देश को कॉरपोरेट चला रहे हैं. उन्होंने भ्रष्टाचार के जरिये राजनीतिक वर्ग को खरीद लिया है. हमें अपनी जमीन, अपना पानी और अपनी हवा वापस चाहिए.
स्थानीय स्तर पर देखें तो त्रिसूर में बहुत सी समस्याएं हैं. यहां पर्याप्त विकास नहीं हुआ है. लोग आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पेयजल की समस्या तो है ही, सफाई भी एक अहम मुद्दा है.
मुझे पता है कि अगर मैं चुन ली गई तो मुझे इस व्यवस्था से ही काफी चुनौतियां मिलेंगी. लेकिन अब कोई विकल्प नहीं है. अगर हमें अपना देश वापस चाहिए तो हमें लड़ना ही होगा. अगर आप सत्ता में आती है तो हम देश में एक जादुई बदलाव देखेंगे क्योंकि आजादी के 67 साल बाद हमारे पास अपने देश को एक मजबूत लोकतंत्र बनाने का अवसर होगा.
जो व्यवस्था हमारे सत्ताधारी प्रतिनिधि चला रहे हैं वह जनता के खिलाफ है. बहुत से लोग हैं जिन्हें कोई उम्मीद नहीं दिखती. यही वजह है कि वे वोट देने से बचते हैं. उन्हें कोई अच्छा विकल्प दिखता ही नहीं.
आप उम्मीद लेकर आई है. हम भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं और पारदर्शिता के समर्थक. दूसरे क्षेत्रों में काम करने वाले लोग जो पहले राजनीति के प्रति अनिच्छुक थे उनको धीरे-धीरे आप में उम्मीद दिख रही है और वे हमारा समर्थन कर रहे हैं.
(अवलोक लांगर से बातचीत पर आधारित)