केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने कोविड-19 पर बात करते हुए कहा कि, “20/12/2022 तक, 102.55 करोड़ पहली खुराक, 95.12 करोड़ दूसरी खुराक, और 22.34 करोड़ एहतियाती खुराक, यानी कुल मिलाकर 220.01 करोड़ टीके लगाए गए है। ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम के तहत, भारत ने कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से 150 से अधिक देशों को बहुत सस्ती कीमत पर कोविड-19 से संबंधित चिकित्सा और अन्य सहायता उपलब्ध कराई गई है। महामारी से लड़ने के लिए सरकार ने 2020 से नवंबर 2022 तक 3388 परीक्षण प्रयोगशालाएं विकसित की हैं।
‘मिशन इंद्रधनुष’ पर जोर देते हुए कहा कि मिशन की घोषणा 25 दिसंबर, 2014 को घातक बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण दर बढ़ाने के लिए की गई थी, जिसे पूरे देश में टीकाकरण से रोका जा सकता है। मिशन इन्द्रधनुष ने अंतर को पाटने और व्यापक टीकाकरण की दिशा में स्थायी लाभ प्राप्त करने में अत्यधिक योगदान दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है।
उन्होंने आगे कहा कि, सरकार ने लगभग 10.74 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान किया है। अब तक जारी किए गए आयुष्मान कार्डों की कुल संख्या 21.24 करोड़ है और अस्पतालों में भर्ती होने की कुल संख्या 4.22 करोड़ है।“
सुभाष सरकार ने कहा कि, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार द्वारा एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया गया है और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव आया है। बीमार व्यक्तियों का इलाज करने के बजाय हेल्थ एंड वेलनेस का एक नया दृष्टिकोण स्वास्थ्य क्षेत्र की कार्यप्रणाली का मूल बन गया।“
उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव के लिए सरकार की विभिन्न पहलों के बारे में बताते हुए कहा कि, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों में मदद करता है।
सरकार ने मृत्यु दर अनुपात के आंकडें भी साझा किए जिसमें वर्ष 2014 में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) प्रति लाख पर 130 थी, जो 2020 में यह घटकर प्रति लाख पर 97 हो गई। वहीं शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में बदलाव के बारे में भी बताते हुए कहा कि जो प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 2014 में 39 थी ,वहीं वर्ष 2022 में घटकर 28 हो गई हैं।
उन्होंने नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को भी साझा किया, नवजात मृत्यु दर, जो प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 2014 में 26 थी, 2020 में घटकर 20 हो गई और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 2014 में 45 थी, जो 2020 में घटकर 32 हो गई।
सरकार की विभिन्न योजना जैसे, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई), प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम), नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, कैंसर, मधुमेह, सीवीडी और स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) की रोकथाम और नियंत्रण का राष्ट्रीय कार्यक्रम, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी), प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई), आदि पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि, सरकार आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित कर रही है। यह 4 स्तंभों पर टिकी है, जो कि आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस (एबी-एचडब्ल्यूसी), आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई), आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) और आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) हैं।
आगे बताते हुए कहा कि, 2006-07 से 2013-14 तक कुल 1,59,832 करोड़ रुपये जारी किए गए थे, और फिर 2014-15 के बाद, 2013-14 से 2021-22 तक कुल 4,27,501 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
वहीं वर्ष 2012-13 में 6 एम्स ने अपने शैक्षणिक सत्र शुरू किए। लेकिन 2014 के बाद पीएमएसएसवाई के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का अनुसरण करते हुए देश के विभिन्न राज्य जिसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, असम, झारखंड, गुजरात, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर, बिहार, हरियाणा और तमिलनाडु में नए एम्स के लिए 16 प्रमुख परियोजनाएं शुरू की गई हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि, 30.11.2022 तक, कैबिनेट ने 20,944 करोड़ रुपये के फंड के साथ 16 नए एम्स के परिव्यय को मंजूरी दी। इसके लिए 10,595 करोड़ रुपये का कोष जारी किया गया है।