कोरोना काल में मरीजों को बेहत्तर स्वास्थ्य सेवायें मिले । इसके लिये केन्द्र सरकार अगामी को बजट में इजाफा करना चाहिये। ये बात आज आई एम ए के पूर्व संयुक्त सचिव डाँ बंसल ने कही। डाँ अनिल बंसल का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यू एच ओ) के मुताबिक भारत में जीडीपी का कम से कम दस प्रतिशत स्वास्थ्य बजट होना चाहिये। लेकिन मौजूदा समय में सरकार 2 प्रतिशत से कम ही बजट जीडीपी का दे रही है। इससे देश की स्वास्थ्य सेवायें लड़खड़ा रही है। उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती जनसंख्या और महगांई के अनुपात के मुताबिक देश की सरकार अस्पतालों में मरीजों को बेहत्तरीन स्वास्थ्य सेवायें नहीं मिल पा रही है।डाँ अनिल बंसल का कहना है कि कोरोना संक्रमित बीमारी है। ये बीमारी आसानी से जाने वाली नहीं है। इसलिये इस पर व्यापक तौर शोध होने की जरूरत है।उनका कहना है कि सरकार स्वास्थ्य बजट पर कम बल्कि, सियासी गुणा-भाग ज्यादा करती है। जिसका नतीजा ये है कि कोरोना काल में मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इसलिये सरकार को बिना समय बर्बाद किये हुये जीडीपी का 10 प्रतिशत बजट जारी करना चाहिये। जो मौजूदा समय में हेल्थ सेक्टर में संख्त जरूरत है। बजट बढ़ने से मरीजों के साथ डाँक्टरों और नर्सों के साथ पैरामेडिकल स्टाफ को भी लाभ मिलेगा।उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से मांग करते हुये कहा कि कोरोना काल चल रहा है। कोरोना के मामलें आये दिन बढ़ रहे है। साथ ही कैंसर, लीवर, किड़नी के साथ –साथ मधुमेह और उच्च रक्च चाप जैसी बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इन सबसे बचाव के लिये गांव –गांव में स्वास्थ्य ढांचा मजबूत करने की जरूरत है। जो हेल्थ बजट में इजाफा करने से ही संभव है।