स्कूल खुले बच्चों के चेहरे खिले

कोरोना की रफ्तार के कम होने से दिल्ली सरकार ने दो साल से बंद स्कूलों को  खोलने का फैसला लिया है। जिसके तहत 14 फरवरी  सोमवार से प्राथिमक और जूनियर  कक्षाओं के लिये स्कूल खोले थे। फिर उसके बाद नर्सरी तक के स्कूल खोले।
ऐसे में बच्चों के साथ उनके अभिभावको में खुशी देखने को मिली है। तहलका संवाददाता ने स्कूल के टीचरों से बात की तो उन्होंने  बताया कि बच्चों को स्कूल में जो प्रैक्टिकली ज्ञान मिल सकता है। वो आँनलाईन पढ़ाई में नहीं मिल सकता है। ऐसे में स्कूल में पढ़ाई बहुत जरूरी हो जाती है।
निजी स्कूल के टीचर माधव तने्जा ने बताया कि आँनलाईन पढ़ाई तो इसलिये जरूरी थी क्योंंकि बच्चों की पढ़ाई का तारतम्य न टूटे। बच्चों ने भी आँलाईन पढ़ाई की है। लेकिन आँनलाईन पढ़ाई को ज्यादा समय तक नहीं खींचा जा सकता था। इसलिये पढ़ाई को स्कूल में जारी ऱखा जाना अतिआवश्यक था। वहीं अभिभावको की अपनी मांग है कि स्कूल खुले उसका स्वागत वे करते है।
लेकिन स्कूल को आने-जाने में बसों की सुविधाये पहलें की तरह ही दी जाये। ताकि बच्चों को स्कूल में आने जाने में दिक्कत न हो। इस बारे में स्कूल प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जब तक स्कूल को लेकर जो भी मांग अभिभावको की है। उसका निपटारा  व समाधान जरूरी है क्योंकि स्कूल खोलना कोई एक -दो दिन की बात नहीं है।
ऐसे में स्कूलों में आने-जाने के लिये बसों का चलाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जो भी कोरोना गाईड लाईन है उसका स्कूल वालें, बस वालें और बच्चों को भी पालन करना होगा। क्योंकि क्योंकि कोरोना की रफ्तार कम हुई है। न कि  कोरोना खत्म हुआ है।
बताते चलें दिल्ली में तो अभी स्कूल खुले है। लेकिन अन्य राज्यों में स्कूल पिछले  ही साल से खुल रहे है। यानि की कोरोना को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। ना कि अफवाह फैलाने की और घबराने की जरूरत है।