सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा, राजद्रोह कानून प्रावधानों की जांच-पुनर्विचार करेंगे

केंद्र सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि उसने फैसला किया है कि राजद्रोह कानून के प्रावधानों की फिर जांच करने उनपर पुनर्विचार किया जाएगा। केंद्र ने यह बात सर्वोच्च अदालत में दायर नए हलफनामे में कही है। दो दिन पहले ही उसने पुराने समय से चल रहे राजद्रोह कानून का बचाव करते हुए सर्वोच्च अदालत से आग्रह किया था इस क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी जाएँ।

सर्वोच्च न्यायालय में आज केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दायर किया है उसमें कहा है कि आजादी का अमृत महोत्सव की भावना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि में, भारत सरकार ने धारा 124ए, देशद्रोह कानून के प्रावधानों का पुनरीक्षण और पुनर्विचार करने का निर्णय किया है। याद रहा सुप्रीम कोर्ट एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और अन्य की तरफ से दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है।

सरकार का नया हलफनामा दो दिन पहले के उसके विचार से बिलकुल भिन्न है  जिसमें उसने औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून का बचाव करते हुए सर्वोच्च अदालत से इसे चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज करने को कहा था।

सरकार ने सोमवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और अन्य की तरफ से दायर याचिकाओं के आधार पर मामले में फैसला करने से पहले सुप्रीम कोर्ट से समीक्षा की प्रतीक्षा करने का आग्रह किया।

देशद्रोह कानून के दुरुपयोग के बड़े पैमाने पर आरोपों के बाद चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में केंद्र सरकार से पूछा था कि वह महात्मा गांधी जैसे लोगों को चुप कराने के लिए अंग्रेजों के इस्तेमाल किए गए प्रावधान को निरस्त क्यों नहीं कर रही है। बता दें हाल के सालों में देशद्रोह कानून के दुरुपयोग के बड़े पैमाने पर आरोप लगे हैं। साथ ही केंद्र और राज्यों को इसे लेकर व्यापक आलोचना झेलनी पड़ी है।