मध्य प्रदेश के सियासी घमासान को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में भाजपा की फ्लोर टेस्ट की मांग वाली याचिका पर बुधवार सुबह साढ़े १० बजे सुनवाई होगी। सर्वोच्च अदालत ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर २४ घंटे में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि उसके आदेश की कॉपी ईमेल और वाट्एसएप के जरिये बागी विधायकों को भी उपलब्ध करवाई जाये। उधर कांग्रेस ने भी बेंगलुरु में ठहरे २२ विधायकों को वापस लाने के लिए सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की है।
मध्य प्रदेश के भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान सहित १० विधायकों ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने आज सभी पक्षकारों सीएम कमलनाथ और विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति आदि को नोटिस देकर २४ घंटे में जवाब मांगा है। कोर्ट ने अपने आदेश की कॉपी ईमेल और वाट्एसएप के जरिये बागी विधायकों को भी उपलब्ध करवाने को कहा है।
सर्वोच्च अदालत अब इस मामले की सुनवाई कल १०.३० बजे करेगी।
इस बीच बेंगलुरु में पिछले एक हफ्ते से रह रहे कांग्रेस के कथित बागी विधायकों ने कहा कि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना वायरस के चलते विधानसभा की कार्यवाही २६ मार्च तक स्थगित कर दी थी। राज्यपाल लालजी टंडन ने सोमवार को भी सीएम कमलनाथ को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट के लिए कहा था। जबकि सीएम कमलनाथ जोर देकर कह रहे हैं कि बेंगलुरु में ”कैद” किए गए उनके विधायकों को छुड़ाने के बाद और खुले माहौल में ही फ्लोर टेस्ट संभव है। कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र में कहा कि हमारे १६ विधायकों को रिहा किया जाए, जिन्हें बंदी बना लिया गया है। उन्हें ५-७ दिनों तक बिना किसी भय के अपने-अपने घरों में रहने दें ताकि वे स्वतंत्र निर्णय कर सकें।
भाजपा की याचिका सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कांग्रेस की ओर से कोई वकील मौजूद नहीं होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम दूसरे पक्ष को भी सुनेंगे। इसके बाद अदालत ने सभी पक्षकारों से २४ घंटे में जवाब मांगा है। ये नोटिस ईमेल और वॉट्सऐप के जरिए भेजे जाएंगे। इसके साथ ही ईमेल पर बागी विधायकों की अर्जी और याचिका की कॉपी भी पक्षकारों को भेजी जाएगी।