दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और अन्य छह आरोपी की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के आदेश पर लगायी हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने नागपुर बेंच ने शुक्रवार को जीएन साईबाबा को माओवादियों से कथित संबंधों के आरोपों से बरी कर दिया था और उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश जारी किया था और हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हाउस अरेस्ट की गुहार को भी ठुकरा दिया हैं और कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्हें एक गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है। और महाराष्ट्र सरकार की अपील को मंजूर करते हुए आरोपी साईबाबा समेत अन्य आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ एक नोटिस जारी कर 8 दिसंबर तक जवाब तलब किया हैं।
आपको बता दें, 9 मई 2014 को सार्इबाबा को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया था जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। मार्च 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की सत्र अदालत ने सार्इबाबा और पांच अन्य यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी ठहराया था। साथ ही सार्इबाबा और चार अन्य को आजीवन कारावास की सजा और एक व्यक्ति को दस साल की सजा सुनाई गई थी।