सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार को २००२ गुजरात दंगों की गैंगरेप पीड़िता बिलकिस बानो को ५० लाख रूपये का मुआवज़ा, सरकारी नौकरी और आवास उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने फैसला सुनाते वक्त गुजरात सरकार की स्थायी वकील से कहा कि आप खुद को भाग्यशाली मानें कि हम आपकी सरकार के खिलाफ कोई फैसला नहीं ले रहे हैं।
गौरतलब है कि पहले बिलकिस बानो ने ५ लाख रुपए का मुआवज़ा स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में बिलकिस के परिवार के सात सदस्यों की हत्या हुई थी। याद रहे २७ फरवरी को गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। इस दंगे में बड़े पैमाने पर जनसंहार हुआ।
इसके कुछ दिन बाद ३ मार्च, २००२ को अहमदाबाद से २५० किमी दूर रंधीकपुर गांव में बिलकिस बानो के परिवार पर भीड़ ने हमला कर दिया था। इस हमले में बिलकिस के तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद उस वक्त १९ साल की पांच माह की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। बिलकिस बानो ने इसके अगले दिन यानी ४ मार्च, २००२ को पंचमहल के लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करायी थी।
यूडी साल्वी की विशेष अदालत ने २१ जनवरी, २००८ को दिए अपने फैसले में बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के मामले में ११ लोगों को दोषी ठहराया था। अब सर्वोच्च अदालत की तरफ से बानो के लिए उपरोक्त फैसला आया है।