कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय से पत्रकार अर्णब गोस्वामी को कुछ राहत मिली है और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लग गयी है। अपने टीवी चैनल पर एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी ने एक कार्यक्रम के दौरान सोनिया गांधी पर टिप्पणी की थी, जिसे लेकर हंगामा मच गया था। अब सर्वोच्च अदालत ने एक अंतरिम आदेश में गोस्वामी के खिलाफ तीन हफ्ते तक किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेताओं ने कई राज्यों के थानों में उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि कुछ दिन पहले रिपब्लिक टीवी पर एक चर्चा के दौरान अर्णब ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। यह चर्चा महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की लिंचिंग के मुद्दे पर थी। चर्चा के दौरान अर्णब ने कांग्रेस पर निशाना साधा था और कुछ आरोप लगाए थे।
चर्चा में अर्णब के आरोपों से खफा कांग्रेस नेताओं ने महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ आदि में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई हैं। अब शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से अर्णब को कुछ राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने सभी एफआईआर पर ”स्टे” देते हुए नागपुर में दर्ज केस को मुंबई तब्दील करने का आदेश दिया है। साथ ही अदालत ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर से अर्णब और उनके चैनल को सुरक्षा देने के भी निर्देश दिए हैं।
अब सर्वोच्च अदालत ने अंतरिम आदेश में गोस्वामी के खिलाफ तीन हफ्ते तक किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। अर्णब इस दौरान अग्रिम जमानत के लिए अर्जी डाल सकते हैं। गौरतलब है कि अर्णब ने यह भी आरोप लगाया है कि उनकी कार पर परथराव किया गया था और उसके पीछे कथित तौर पर कांग्रेस के लोग थे।
सोशल मीडिया पर छाया मामला
अर्णब गोस्वामी से जुड़ा मामला सोशल मीडिया पर भी खूब छाया हुआ है। उनके प्रशंसक जहाँ उन्हें समर्थन कर रहे हैं वहीं आलोचक पुराने वीडियो डाल रहे हैं और कह रहे हैं कि वे समय के मुताबिक बदल जाते हैं। इनमें एक वीडियो बहुत वायरल हुआ है जिसमें वे २००२ में कथित तौर पर मोदी पर आरोप लगा रहे हैं कि ‘उनके गुंडों ने उनकी पिटाई की’। एक अन्य वीडियो में वे योगी आदित्यनाथ को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणी कर रहे हैं।
पिता थे भाजपा में
यहाँ यह भी दिलचस्प है कि अर्णब के पिता सेना से कर्नल रिटायर होने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे और उन्होंने १९९८ में असम के गुवाहाटी से लोक सभा चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के भुवनेश्वर कलिता से हार गए थे।