सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर में सिखों और कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की जांच को लेकर एसआईटी गठित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से शुक्रवार इनकार कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ता एनजीओ को संबंधित अथॉरिटी के समक्ष जाने को कहा है।
‘वी द सिटीजन’ एनजीओ ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जम्मू कश्मीर में 1990 से 2003 तक सिखों और कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और अत्याचार की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की थी। इसके अलावा याचिका में कश्मीर घाटी से विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास की भी मांग थी।
अदालत के याचिकाकर्ता को संबंधित अथॉरिटी के सामने जाने के लिए कहने के बाद उन्होंने याचिका वापस ले ली। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है। जम्मू- कश्मीर में कश्मीरी पंडितों और सिखों के नरसंहार की जांच की मांग वाली याचिका पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ के सामने आज सुनवाई हुई।
इस याचिका में 1989-2003 के बीच कश्मीर से विस्थापन से जुड़े लोगों के संस्मरणों पर आधारित कई किताबों का हवाला दिया गया था। याचिका में जगमोहन की लिखी किताब ‘माई फ्रोजन टर्बुलेंस इन कश्मीर’ और राहुल पंडिता की किताब ‘अवर मून हैज ब्लड क्लॉट्स’ की चर्चा की गई है।
याचिका में कश्मीर से पलायन कर देश के अलग-अलग हिस्सों में शरणार्थियों की किस तरह रहे, कश्मीरी हिंदुओं और सिखों की गणना कराने का आदेश दिए जाने की मांग की गई। इसमें जम्मू कश्मीर में 1990 के बाद प्रवासी कश्मीरियों की आवासीय, शैक्षणिक, व्यावसायिक,कृषि, उद्योग वाली संपत्ति की खरीद फरोख्त को रद्द और निष्प्रभावी करने का आदेश सरकार को देने की गुहार लगाई गई थी।