सुप्रीम कोर्ट आज कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को दस प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर आज अपना फैसला सुनाने जा रहा हैं।
दाखिले और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण प्रदान करने वाली इस याचिका पर शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई सात नवंबर की वाद सूची के अनुसार प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ मामले में फैसला सुनाएगी।
बता दें, शीर्ष अदालत ने तत्कालीन अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित वरिष्ठ वकीलों की दलील सुनने के बाद इस कानूनी सवाल पर 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। और इस मामले में 13 नवंबर को शिक्षाविद मोहन गोपाल ने पीठ के समक्ष दलीलें रखी थीं। क्योंकि ईडब्ल्यूएस कोटा संशोधन का विरोध करते हुए इसे पिछले दरवाजे से आरक्षण को नष्ट करने का प्रयास बताया था।
आपको बता दें, पीठ में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल थे। तमिलनाडु की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाड़े ने ईडब्ल्यूएस कोटा का विरोध करते हुए कहा था कि, आर्थिक मानदंड वर्गीकरण का आधार नहीं हो सकता है और शीर्ष अदालत को इंदिरा साहनी (मंडल) फैसले पर फिर से विचार करना होगा यदि वह इस आरक्षण को बनाए रखने का फैसला करता है।
वहीं दूसरी तरफ तत्कालीन अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल ने संशोधन का पुरजोर बचाव करते हुए कहा था कि इसके तहत प्रदान किया गया आरक्षण अलग है। सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) के लिए पचास प्रतिशत कोटा से छोड़छाड़ किए बिना दिया गया। उन्होंने आगे कहा था कि इसलिए संशोधित प्रावधान संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता हैं।