जगह-जगह फंसे प्रवासी मजदूरों को लेकर मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला दिया है। एक तो सर्वोच्च अदालत ने इन मजदूरों के खिलाफ वो सारे मामले वापस लेने का निर्देश दिया है जो उनके खिलाफ लॉक डाउन के नियम तोड़ने के आरोप में लगाये गए हैं और साथ ही उनके लिए उनके गाँव में ही रोजगार की योजना लाने को कहा है। । इसके अलावा सर्वोच्च अदालत ने निर्देश दिया है कि उन मजदूरों को १५ दिन के भीतर ट्रेन उपलब्ध करवाई जाए जो घर जाना चाहते हैं।
सर्वोच्च अदालत ने निर्देश दिया है कि जो मजदूर अपने घर जाना चाहते हैं उनकी पहचान कर उन्हें पंजीकृत करना होगा। यह काम १५ दिन के भीतर करना होगा। उसके बाद उन्हें घर भेजा जाएगा। इस मामले की अगली सुनवाई अब ८ जुलाई को होगी।
इस मामले पर सुनावी के दौरान ,मंगलवार को सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को कहा है कि राज्य मांगे तो २४ घंटे के भीतर उन्हें मजदूरों को ले जाने के लिए ट्रेन उपलब्ध करवाई जाएं। इसके अलावा १५ दिन के भीतर मजदूरों को वापस भेजा जाये जो जाना चाहते हैं।
एक और बड़ा फैसला यह भी सुप्रीम कोर्ट ने दिया है कि प्रवासी मजदूरों के खिलाफ लॉक डाउन को तोड़ने के दौरान बनाये गए सभी मामले तत्काल वापस लिए जाएं। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासियों के लिए काऊंसलिंग सेंटर बनाने को भी कहा है।
इसके अलावा सर्वोच्च अदालत ने इन प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार को केंद्र और राज्य को योजना लाने को कहा है। प्रवासियों की पहचान के लिए योजना बने कि इनमें से कौन कुशल है और कौन अकुशलहालांकि, सच यह भी है कि ज्यादातर मजदूर आज की तारीख में घर वापस लौट चुके हैं, लिहाजा उन्हें ले जाने वाले मामले में शायद सरकारों को ज्यादा कवायद अब न करनी पड़े लेकिन उनके खिलाफ मामले वापस लेने और उन्हें उनके गांव में ही रोजगार देने के लिए योजा का आदेश बहुत अहम् है। साथ ही अदालत के आदेश के बाद अब उनकी पहचान करनी होगी।