नरसिम्हा राव सरकार में संचार क्रांति के मसीहा माने जाने वाले पूर्व संचार मंत्री सुख राम सोमवार को अपने पोते आश्रय शर्मा के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। पहले वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले और बाद में एक प्रेस कांफ्रेंस में प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सुख राम के कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की।
इस मौके पर सुख राम ने कहा कि वे कुछ महीने बाहर रहने के बाद दुबारा अपने घर लौट आये हैं। दिलचस्प यह है कि सुख राम के पुत्र और आश्रय के पिता अनिल शर्मा हिमाचल की भाजपा सरकार में केबिनेट मंत्री हैं। देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे जयराम सरकार से अब इस्तीफा देंगे ?
साल २०१७ के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले सुख राम, अनिल शर्मा और आश्रय शर्मा भाजपा में शामिल हो गए थे। उस समय अनिल शर्मा कांग्रेस की वीरभद्र सिंह सरकार में भी मंत्री थे। भाजपा ने उन्हें उनकी मंडी सीट से टिकट दिया और जीतने के बाद उन्हें जयराम ने भी मंत्री का पद दिया।
माना जा रहा है कि सुख राम अपने पोते के लिए मंडी लोक सभा सीट से टिकट मांग रहे थे लेकिन भाजपा ने वहां शनिवार को सीटिंग एमपी राम स्वरुप को ही दोबारा टिकट घोषित कर दिया था। सुख राम इसके बाद दिल्ली चले गए थे और कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं से उनकी मुलाकात हुई थी। आज सुबह जाकर वे राहुल गांधी से मिल पाए जिन्होंने कांग्रेस में उनके लौटने के आग्रह को स्वीकार कर लिया।
यह अभी शाम तक पता चलेगा कि क्या कांग्रेस उनके परिवार में से किसी को मंडी से टिकट देती है। सुख राम दूर संचार घोटाले के बाद विवादों में आ गए थे और उनके घर से ४ करोड़ रूपये मिलने के बाद कांग्रेस से उन्हें बाहर जाना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने भाजपा की प्रेम कुमार धूमल सरकार बनने में मदद की थी और अपने तीन विधायकों तक को भाजपा में शामिल करवा दिया था।
उनकी पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह से नहीं पटती लिहाजा आज की प्रेस कांफ्रेंस में साफ़ तौर पर वीरभद्र सिंह का नाम लेकर कहा कि अब ऐसा कोइ मतभेद नहीं है। ” मैं अपने पौते को राहुल गांधी और वीरभद्र सिंह के हवाले कर रहा हूँ।” सुख राम हिमाचल में एक बड़े ब्राह्मण नेता हैं और मंडी लोक सभा हलके में उनका ख़ासा प्रभाव माना जाता है। उनके कांग्रेस में लौटने से भाजपा को झटका लगा है और लोक सभा चुनाव में इससे उसे फर्क पड़ सकता है।