केंद्र सरकार के लिए एक बड़े झटके में सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के मोदी सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया है। करीब ७५ दिन बाद वर्मा की अपने पद पर बहाली हुए है हालांकि न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि वे कोइ नीतिगत फैसला नहीं ले पाएंगे। कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर सेलेक्ट कमिटी की बैठक बुलाने का भी आदेश दिया है जिसमें वर्मा का मामला देखा जाएगा। सेलेक्ट कमेटी में प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सीजेआई होंगे।
मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के छुट्टी पर होने के कारण उनका लिखा फैसला जस्टिस संजय किशन कौल ने पढ़ा। कोर्ट ने वर्मा को जाने के सरकार के फैसले को गलत बताया है।
जस्टिस गोगोई, जस्टिस कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने छह दिसंबर को आलोक वर्मा और कॉमन कॉज की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले आधी रात को केंद्र सरकार ने वर्मा और अस्थाना के बीच विवाद के बाद दोनों को हटाते हुए संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को अंतरिम मुखिया बना दिया था।
अब आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला निरस्त कर दिया है। साथ ही कहा है कि आलोक वर्मा कोई भी नीतिगत फैसला नहीं लेंगे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाएगा जिसकी बैठक एक हफ्ते में बुलाने का आदेश कोर्ट ने दिया है।
आज सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आलोक वर्मा को हटाने से पहले सिलेक्ट कमिटी से सहमति लेनी चाहिए थी। जिस तरह सीवीसी ने आलोक वर्मा को हटाया, वह असंवैधानिक है। इस तरह से वर्मा अब सीबीआई प्रमुख का कार्यभार संभालेंगे। हालांकि वह बड़े पॉलिसी वाले फैसले नहीं ले सकेंगे।