महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर अलग-अलग चीजें हैं और किसी को इनसे डरने की जरूरत नहीं। उनके इस ब्यान से महाराष्ट्र की महाअघाडी सरकार के बीच तनाव की स्थिति बन सकती है।
हालांकि ठाकरे ने यह भी कहा है कि एनआरसी यहां (राज्य में) लागू नहीं होगा।
ठाकरे का यह ब्यान कमोवेश उसी तर्ज़ पर है जो अब तक भाजपा अपनाती रही है।
उद्धव ठाकरे के बयान पर महाआघाडी सरकार में गठबंधन सहयोगी एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे का अपना मत है, लेकिन हमने (एनसीपी) तो सीएए के खिलाफ वोट किया था। वैसे सीएम ठाकरे ने यह जरूर कहा है कि एनआरसी राज्य में लागू नहीं होगा।
ठाकरे अभी तक सीएए और एनआरसी को लेकर कुछ साफ़ नहीं कह रहे थे। अब उन्होंने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण दोनों अलग-अलग हैं और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अलग है। ”अगर सीएए लागू होता है तो किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। एनआरसी यहां नहीं है और ये राज्य में लागू नहीं होगा।”
गौरतलब है कुछ राज्य सरकारों ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास किये हैं हैं और कहा है कि सीएए को उनके राज्यों में किसी भी कीमत पर लागू नहीं किया है। यही नहीं देश के कई हिस्सों में अभी तक नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पूरी शिद्दत से विरोध प्रदर्शन जारी हैं। दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में इस कानून को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन हो रहे हैं।
दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को दो महीने से ज्यादा का समय हो गया है और अब तो सुप्रीम कोर्ट ने दो वरिष्ठ वकीलों को जिम्मा सौंपकर बात करने को कहा है ताकि आंदोलन के कारण रास्ता बंद होने से जो दिक्कत पेश आ रही है उसका हल निकाला जा सके।
जहाँ तक महाराष्ट्र की बात है वहां शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार में इस मसले पर आम राय नहीं बन पा रही है। अब सीएम ठाकरे ने कहा है कि यदि एनआरसी लागू होता है तो ये सिर्फ हिंदुओं और मुस्लिमों को ही नहीं बल्कि आदिवासियों को भी प्रभावित करेगा। ”केंद्र सरकार ने अभी तक एनआरसी पर चर्चा नहीं की है। एनपीआर जनगणना है जो हर दस साल में होती है और मुझे नहीं लगता कि इससे कोई प्रभावित होगा।”