राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की विशेष अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्वोत्तर के जेल में रहकर चुनाव जीतने वाले विधायक अखिल गोगोई आरोपमुक्त कर दिया है। अखिल गोगोई पर असम में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों में उनकी भूमिका के लिए यूएपीए समेत तमाम धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने उनको सभी आरोपों से मुक्त कर रिहाई का रास्ता साफ कर दिया है।
गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत दर्ज दोनों मामलों में उन्हें अदालत ने आरोप मुक्त किया है। इससे पहले बीते 22 जून को कोर्ट ने गोगोई को एक मामले में आरोपमुक्त किया था। अब गुरुवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए अन्य दोनों मामले में भी बरी कर दिया।
अखिल गोगोई ने जेल से रिहा होने के बाद कहा कि सरकार की ओर से लगाए गए आरोप बोगस थे। यह भारतीय न्यायपालिका के लिए ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि सरकार यूएपीए कानून का दुरुपयोग कर रही है।
असम के शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई को एनआईए की विशेष अदालत से बड़ी राहत मिली है। विशेष एनआईए अदालत ने गोगोई के साथ ही उनके तीन साथियों को दिसंबर 2019 में असम में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक आंदोलन में कथित भूमिका के लिए यूएपीए के तहत सभी आरोपों से बरी किया है।
एनआईए के विशेष न्यायाधीश प्रांजल दास ने चांदमारी मामले के संबंध में गोगोई और उनके तीन साथियों धिरज्या कुंवर, मानस कुंवर और बीटू सोनोवाल पर आरोप तय नहीं किए। इस मामले में उनपर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप लगाया गया था। गोगोई के तीन साथी पहले ही जमानत पर बाहर हैं।