पीवी सिंधू ने विश्व बैडमिटन चैंपियनशिप में रजत पदक जीत लिया है। फाइनल में वह स्पेन की कैरोलिना मारिन से 19-21,10-21 से 46 मिनट में हार गई। दोनों खिलाडियों के बीच यह 12वीं भिडंत थी जिसमें से पांच बार सिंधू और सात बार मारिन जीती है। इस साल खेली गई प्रतियोगिताओं के फाइनल में सिंधू की यह चौथी हार है।
2016 के रियो ओलंपिक के साथ बड़े मुकाबलों के फाइनल में सिंधू की यह आठवीं हार है। रियो के बाद वह लगातार दो बार 2017-2018 में हांगकांग ओपन सुपर सीरिज़ हारी। फिर इस साल इंडियन ओपन और थाईलैंड ओपन के फाइनल में भी सिंधू को हार का मुंह देखना पड़ा।
यह बात सही है कि सिंधू को छोड़ कर कोई भारतीय विश्व चैंपियनशिप में पदक नहीं जीत पाया। सिंधू ने विश्व चैंपियनशिप में दो रजत और दो कांस्य पदक जीते हैं। सिंधू ने ये दो कांस्य पदक 2013 में गुंझाओ और 2014 में कोपनहेगन में जीते थे। दूसरी और मारिन का विश्व चैंपियनशिप का यह तीसरा खिताब रहा। उनके अलावा कोई भी और महिला खिलाडी तीन बार यह खिताब नहीं जीत पाई। इससे पूर्व वह 2014 और 2015 में भी यह खिताब जीत चुकी है।
पहली गेम में मारिन ने शुरू में 3-1 की बढ़त हासिल कर ली लेकिन सिंधू ‘डीप टास’ और ‘नेट ड्राप्स’ के सहारे 2-3 से आगे निकल गई। फिर वह 6-4 से बढ़त पर थी। इस बीच मारिन ने ‘डाऊन द लाइन’ शाट मारने के चक्कर में कई गलतियां की और सिंधू 11-8 से आगे हो गई। इस प्रयास में स्पेन की खिलाड़ी ने लगातार तीन बार शटल को लाइनों से बाहर मारा था। इस बीच सिंधू की बढ़त 14-9 और फिर 15-11 रही। पर इसके बाद मारिना ने जो गति पकड़ी उसे स्ंाभालना भारतीय खिलाड़ी के बस का नहीं था। एक बार 15-15 की बराबरी हासिल करने के बाद इस स्पेनी खिलाड़ी को रोकना कठिन था। फिर भी एक बार सिंधू 18-17 से आगे हो गई। पर उसके एक कमज़ोर रिटर्न पर अंक लेकर मारिन ने 18-18 की बराबरी हासिल की। इसके बाद मारिन की एक शानदार स्मैश और सिंधू का एक रिटर्न बाहर जाने से वह गेम अंक पर पहुंच गई (20-18) और अंत में 21-19 से पहला गेम अपने नाम कर लिया।
दूसरी गेम में तो सिंधू जैसे दिखाई ही नहीं दी। मारिन ने तेज़ गति से खेलते हुए शुरू में ही गेम और मैच सिंधू से छीन लिया और आसानी से 5-0 की बढ़त ले ली। एक समय वह 11-2 से आगे हो गई। इस समय सिंधू न तो मारिन की गति का मुकाबला कर पा रही थी और न ही गेम को धीमा कर पर रही थी। दूसरी गलती सिंधू ने उसे नेट पर छोटी सर्विस करके की। पहली गेम में सिंधू की ‘डीप’ ‘सर्व’ और ‘टासेस’ में मारिन फंसती थी, पर दूसरी गेम मे सिंधू को जैसे कुछ नहीं सूझ रहा था। कभी वह ‘बेस’ लाइन से बाहर मार देती तो कभी साधारण से स्ट्रोक भी ‘नेट’ में जा रहे थे। जब सिंधू ने कोई आक्रामक स्ट्रोक लगाया तो उसे उसका लाभ ज़रूर मिला। उसने मारिन के शरीर पर दो शानदार ‘पुश’ किए और दो अंक बटोरे। पर वह ज़्यादा कुछ नहीं कर पाई और मारिना ने खिताब अपने नाम कर लिया।
मैच के बाद सिंधू ने कहा,’ कुल मिला कर मरिना बेहतर खेली। यदि मैं पहला गेम जीत लेती तो स्थिति अलग होती। दूसरी गेम में मैंने बहुत गलतियां की। मेरे स्मैश बाहर जा रहे थे। मैं बस यही कह सकती हूं कि यह मेरा दिन नहीं था। मैं पहली गेम में 14-9 से आगे थी। मैंने आसान अंक दिए। जब मैंने गति पकडऩे की कोशिश की तो मुझ से कई गलतियंा हुई। 19-19 के स्कोर पर मुझे ज़्यादा संयम रखना चाहिए था।
सिंधू ने कहा,’ दुबारा हारना बहुत दुखदायी है। पिछली बार भी फाइनल में ऐसा ही हुआ था। यह निराशाजनक है। मुझे फिर से मजबूत हो कर वापसी करनी होगी और आने वाले मुकाबलों के लिए अच्छी तरह तैयारी करनी होगी। कोई दिन आपका नहीं होता। उतार-चढाव तो हमेशा वहां है पर आप को खुद मज़बूत होना पड़ता है। यह दुखदायी है। इस बार मुझे अच्छे परिणाम की उम्म्मीद थी’।
इससे पूर्व सिंधू ने सेमीफाइनल में विश्व के पूर्व नंबर खिलाड़ी यामागुची को जोरदार मुकाबले में 21-16, 24-22 से परास्त किया था। इस मैच की दूसरी गेम में सिंधू एक बार 12-19 से पीछे थी। यहां उसका आत्म विश्वास काम आया और उसने लगातार आठ अंक लेकर 20-19 की बढ़त हासिल कर ली। इसके बाद यामागुची ने एक अंक लिया और 20-20 की बराबरी पा ली। उस समय सिंधू के चेहरे पर एक विश्वास था। लगता था जैसे वह जीत के लिए मज़बूत इरादे से उतरी हो। उसका यही विश्वास उसे जीत दिला गया। क्वार्टर फाइनल में भी सिंधू ने जापान की ही ओकुहारा को हराया था।
दूसरी ओर करोलिना मारिन ने क्वार्टर फाइनल में भारत की सायना नेहवाल को एक तरफा मुकाबले में 21-6, 21-11 से हराया था। उसने यह मुकाबला मात्र 31 मिनट में जीता था।