सांसद और विधायकों के सिफारिशी पत्रों के सहारे कोरोना रोगियों को इलाज की उम्मीद

कोरोना जैसी महामारी में राजनीति अपने चरम पर है। आलम ये है, कि दिल्ली में आप पार्टी की सरकार है। तो केन्द्र सरकार और दिल्ली नगर निगम में भाजपा की सरकार है। दिल्ली में, सरकारी अस्पतालों में सही मायने में उन मरीजों को इलाज मिल पा रहा है। जिनका किसी ना किसी राजनीतिक दल से संबंध है। मरीज इलाज कराने के लिये सांसदों, विधायकों और पार्षदों के पत्र लेकर अस्पतालों में घूम रहे है। ताकि इलाज जल्दी हो जाये। जिनके पास राजनैतिक पहुंच नहीं है वे मरीज धक्के खाने को मजबूर है।

तहलका संवाददाता ने केन्द्र सरकार और दिल्ली नगर के तहत आने वाले अस्पतालों में पड़ताल की और मरीजों से बात की तो उन्होंने बताया कि भले ही दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार मरीजों को बेहत्तर इलाज करने का दावा कर रही है। पर, हकीकत ये है कि राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को इलाज में प्राथमिकता दी जा रही है। सरोज कुमारी दिल्ली के करावल नगर से जीटीबी अस्पताल में कोरोना की संभावना को देखते हुये अपने पति के साथ इलाज को पहुंची तो, इलाज करना तो दूर बल्कि 3 घंटे तक तो डाक्टरों ने ही नहीं किसी पैरामेडिकल कर्मचारी तक ने बात नहीं की। सरोज ने बताया कि जब उन्होंने करावल नगर के स्थानीय आप पार्टी से सिफारिश की तो उनका इलाज शुरू हुआ। यहीं हाल लोकनायक अस्पताल का है। सुबह से ही कोरोना के मरीज आ रहे है।

कोरोना के नाम पर इलाज की बात तो दूर परिचित ही पास आने में डर रहे है। यहां पर मरीजों को राजनीतिक अप्रौच के बिना आसानी से दाखिला तक नहीं मिल पा रहा है। अब बात करते है देश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान एम्स की जहां पर इलाज करवाने के लिये वैसे ही देश के दूर –दराज इलाकों से आये मरीजों को वैसी ही तामाम दिक्कतों से दो-चार होना पड़ता है। अब वो तो कोरोना काल में बड़ी दिक्कतों से मरीजों को इलाज मिल पा रहा है। वजह साफ है कि दिल्ली में प्रतिदिन हजारों की संख्या में कोरोना के मरीजों का है।एम्स के डाक्टरों का कहना है कि अगर कोरोना के मरीजों की संख्या यूं ही बढ़ती रही तो सरकारी क्या प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होना मुश्किल होगा। अस्पतालों में डाक्टरों की कमी है। पैरामेडिकल कर्मचारी
रात- दिन एक किये हुये है। वे भी अब इलाज करते –करते थकने लगे है।सफदरजंग अस्पताल के डाँक्टर और
पैरामेडिकल कर्मचारियों का कहना है कि सरकारी चूक का नतीजा है। जो मरीजों को आज कोरोना जैसी बीमारी में
अपने इलाज को भटकना पड़ रहा है।