Home सहज अर्थात अविस्मरणीय बिस्मिल्लाह खान: शहनाई के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान रोज सुबह एक आम मुसलमान की तरह बनारस में अपने घर के पास बनी शिया मस्जिद जाते थे. उसी दौरान खींची गई इस तस्वीर में उनके भावों की तीव्रता साफ दिखती है.

बिस्मिल्लाह खान: शहनाई के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान रोज सुबह एक आम मुसलमान की तरह बनारस में अपने घर के पास बनी शिया मस्जिद जाते थे. उसी दौरान खींची गई इस तस्वीर में उनके भावों की तीव्रता साफ दिखती है.

भीमसेन जोशी: किराना घराने के गौरव भीमसेन जोशी को अच्छी कारों का बहुत शौक था. बड़े ही गर्व के साथ वे मुझे अपनी इस मर्सिडीज में साथ बिठाकर ले गए थे. तब तक हमें अंदाजा नहीं था कि पुणे के पास भी इतने सुंदर नजारे हो सकते हैं
हरिप्रसाद चौरसिया: यह तस्वीर हरिप्रसाद साहब के मुंबई स्थित घर की है. वे हारमोनियम पर एक नई धुन बजा रहे थे. उसी दौरान उनके घर में रहने वाला यह बच्चा उनके पास आकर बैठ गया. उसकी तल्लीनता देखिए. मुझे यह बहुत अच्छी लगी.
मल्लिकार्जुन मंसूर: फेफड़ों के कैंसर के चलते मशहूर शास्त्रीय गायक मल्लिकार्जुन मंसूर बिस्तर पर थे. यह धारवाड़ में उनके घर की है. जयपुर घराने के बड़े स्तंभ मंसूर बीड़ी के शौकीन थे और इस क्षण से ठीक पहले उन्होंने अपने बेटे से कहा था, ‘पिलाओ.’ बेटे के पास सिगरेट थी जो उन्होंने अपने पिता के मुंह में लगा दी. उनई हालत देखकर मुझे लगा गया था कि यह चलाचली की बेला है. अगले ही दिन उनका देहांत हो गया.