किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उसने उनकी मांग नहीं मानी तो उनका आंदोलन बड़ा रुख अख्तियार कर लेगा। किसानों ने कहा है कि समिति में उनकी रूचि नहीं है और तीनों क़ानून रद्द करना उनकी मुख्य मांग है। इस बीच अब देश के अन्य हिस्सों से भी किसान दिल्ली की तरफ कूच करने लगे हैं, जहां पहले ही लाखों किसान जमा हो चुके हैं।
किसान नेताओं ने आज शाम प्रेस कांफ्रेंस करके साफ़ कर दिया कि केंद्र से बातचीत के लिए किसानों की छोटी कमेटी नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि हम दस पेज तक का मसौदा सरकार को भेजेंगे। यदि सरकार नहीं मानेगी तो आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने मांग की है कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर कृषि क़ानून को रद्द किये जाएं। किसानों ने कहा जब तक सरकार तीनों क़ानून वापस नहीं लेती तब तक ये आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा और अगर ऐसे ही चलता रहा तो आंदोलन और बड़ा होगा।
दिल्ली बॉर्डर पर किसान संगठनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि सरकार लंबी चर्चा करके उन्हें टरकाने की कोशिश कर रही है। पांच दिसंबर को कॉरपोरेट के विरोध में देश व्यापी विरोध करेंगे। उस दिन सरकार समेत कारपोरेट के ख़िलाफ़ उग्र प्रदर्शन होगा। सात दिसंबर को खिलाड़ी भी किसानों के समर्थन में आएंगे और देश भर में अवार्ड वापसी का आंदोलन शुरू होगा।
उधर कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन बुधवार को 7वें दिन भी जारी है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि सरकार कानूनों को खत्म करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष स्वराज सिंह ने कहा – ‘हम सड़क पर नहीं बैठे हैं। प्रशासन ने बैरिकेड्स और जवान खड़े करके हमारा रास्ता रोका है और इसीलिए हम यहां रुके हैं। हमें यह जगह अस्थाई जेल जैसी लगती है और हमें रोका जाना गिरफ्तारी की तरह है। हम जैसे ही यहां से छूटे तो सीधा दिल्ली जाएंगे।’