अफगानिस्तान पर पंजशीर को छोड़कर लगभग पूरा कब्ज़ा कर लेने के बाद अब तालिबान अपनी सरकार के गठन के गठन की तैयारी में जुट गया है। इसमें हालांकि अभी कुछ दिन लग सकते हैं। तालिबान ने फिलहाल मुल्ला हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को अपना सर्वोच्च नेता बताया है और उनके तालिबान सरकार का प्रमुख बनने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इस बीच तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि तालिबान कश्मीर समेत पूरी दुनिया के तमाम मुसलमानों की आवाज बनने का अधिकार रखता है।
तालिबान ने पहले ही कहा है कि उसकी सरकार इस्लामिक सरकार होगी और सरकार के ऐलान में अभी कुछ वक्त लग सकता है। तालिबान के ज्यादातर नेता फिलहाल कंधार में हैं और सरकार के गठन को लेकर उनकी बातचीत जारी है।
पंजशीर, जहाँ तालिबान कब्ज़ा नहीं कर पाया है, में उसे साझे गठबंधन से नुक्सान उठाना पड़ा है। पंजशीर पर हमले की उसकी अभी तक की कोशिशें असफल रही हैं।
देश पर कब्जे के बावजूद तालिबान लड़ाकों को नॉर्थर्न एलायंस के विद्रोही पंजशीर में घुसने नहीं दे रहे। विद्रोहियों का दावा है कि उसने हाल के दिनों में दर्जनों तालिबान लड़ाकों को मौत के घाट उतार दिया है। इसके प्रमाण के रूप में उसने वीडियो भी जारी किये हैं। इनमें यह देखा जा सकता है कि विद्रोही (तालिबान विरोधी पंजशीर के विद्रोही) पहाड़ों से तालिबानियों पर जमकर गोलियां और रॉकेट दाग रहे हैं। यह भी दावा किया गया है कि दो दर्जन से ज्यादा तालिबानी लड़ाकों को पंजशीर की विद्रोही सेना ने पकड़ लिया है।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल ने पहले भारत के साथ बेहतर तालमेल और रिश्तों की बात कही थी। हालांकि, अब उसने तालिबान के कश्मीर सहित सभी मुसलामानों की आवाज बनने की बात कही है। शाहीन ने कहा कि मुस्लिम हमारे अपने लोग हैं, हमारे नागरिक हैं और कानून के तहत उन्हें बराबरी का अधिकार है।
वैसे अफगानिस्तान से तालिबान के विभिन्न गुटों के ब्यान विरोधाभासी भी दिखे हैं। उधर अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और हिज्ब-ए-इस्लामी गुलबुद्दीन पार्टी के नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा है कि तालिबान को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी और देश के खिलाफ नहीं होने देने के अपने वादे पर टिकना चाहिए। हिकमतयार के मुताबिक अफगानिस्तान के लोग नहीं चाहते कि कश्मीर विवाद, भारत-चीन सीमा विवाद और तिब्बत जैसे मुद्दे अफगानिस्तान पहुंचें। हिकमतयार को पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई का ख़ास माना जाता है। दिलचस्प यह है कि तालिबान की चीन से भी लगातार बातचीत चल रही है। चीन काबुल में अपना दूतावास बनाये रखने की बात कह चुका है।
इस बीच भारत अफगानिस्तान में फंसे अपने लोगों को निकालने के लिए तैयारी में जुटा है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि काबुल हवाई अड्डे पर आपरेशन दोबारा शुरू होते ही लोगों को निकालने का अभियान शुरू होगा। भारत तालिबान पर जोर दे रहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों के लिए न हो पाए।