राम कपूर बड़े दिल वाले हैं; वे अपने दोस्तों को सब कुछ दे सकते हैं, बस अपने कपड़े छोड़कर क्योंकि वे उन्हें फिट नहीं आएंगे. राम कपूर को साहसिक खेल पसंद हैं और उनके दोस्त उनके लिए एक ठीक-ठाक मजबूत रस्सी ढूंढ़ रहे हैं ताकि वे बंजी जंपिंग का लुत्फ उठा सकें. तर्क देकर सामने वाले को हराने में उनका कोई सानी नहीं; खासकर तब जब वे सामने वाले को यह धमकी दे दें कि यदि वह उनकी बात नहीं मानेगा तो वे उस पर बैठ जाएंगे…ये कुछ मजेदार किस्से और चुटकुले हैं जो खुद राम, उनके करीबी दोस्तों या परिवार के सदस्यों ने उनके बारे में फैलाए हैं.
‘यदि आप अपने भीतर की असुरक्षाओं को अभिनय में ला पाए तो यह आपको बेहतर अभिनेता बना देता है’
हम मुंबई के अंधेरी में स्थित बालाजी स्टूडियो के सामने हैं और वहीं वैनिटी वैन से निकलते हुए राम कपूर से हमारी मुलाकात होती है. बिजनेस सूट पहने हुए यह कलाकार इस समय टीवी सीरियल बड़े अच्छे लगते हैं के अपने कॉस्ट्यूम में हैं. इसके पहले एकता कपूर के सीरियल कविता में भी राम कुछ इसी रूप में नजर आए थे. एकता के ही एक और सीरियल कसम से में उनका जय वालिया का किरदार बड़े अच्छे लगते हैं के राम कपूर से मिलता-जुलता था. बड़े अच्छे लगते हैं में उनकी सह कलाकार साक्षी तंवर कहती हैं कि महिला दर्शक राम को आदर्श पति मानती हैं- दौलतमंद, ताकतवर और ख्याल रखने वाला.
वैनिटी वैन के बाहर ही एक बुजुर्ग अपनी पोती के साथ कपूर का इंतजार कर रहे हैं. उनकी पांच साल की छुटकी इस भारी-भरकम कलाकार की फैन है. वह यहां कपूर के साथ फोटो खिंचवाने आई है. इसी समय एक ट्रैफिक हवलदार भी आता है और कपूर से कहता है कि वह अपने परिवार के साथ रोज बड़े अच्छे… देखता है. कपूर उसकी बात पर हंसते हैं और कहते हैं कि उन्हें लगा वह उन्हें गिरफ्तार करने आया है.
यह एक लाइन ही इस कलाकार को पर्दे के इतर परिभाषित करने के लिए काफी है. राम खुद को गंभीरता से लेना नहीं चाहते. वे कहते हैं, ‘जिंदगी में यह बहुत जरूरी है कि आप अपना मजाक उड़ाएं.’ उन्होंने बड़े अच्छे… के लेखकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया था कि वे सीरियल में उनके वजन का मजाक उड़ाने वाली परिस्थितियां बनाने में कोई कोर-कसर न छोड़ें. वे बताते हैं, ‘लेखक जितनी बेशर्मी से लिखेंगे, मैं उतनी ही बेशर्मी से उस सीन में एेक्टिंग करूंगा. 38 साल के कपूर चिकने-चुपड़े चेहरे और सिक्स पैक वाले अभिनेताओं के बीच ताजगी की तरह हैं. असल जिंदगी में दो बच्चों का पिता यह अभिनेता अभी बड़े अच्छे… में नया शादीशुदा बना है. इस भूमिका में तीन महीनों के दौरान ही कपूर छोटे पर्दे के पुरुष अभिनेताओं में सबसे पसंदीदा किरदार बन चुके हैं. फिल्म उड़ान में एक सहयोगी कलाकार की भूमिका के बाद कपूर को फिल्मों में कई अच्छी भूमिकाएं मिली हैं. एजेंट विनोद वे एक तड़क-भड़क वाले विलेन बने हैं तो करन जौहर की एक मैं और एक तू में वे कॉमेडी करते दिखेंगे, इसके अलावा स्टूडेंट ऑफ द ईयर में वे अपनी पत्नी गौतमी के साथ पूरे आठ साल बाद अभिनय कर रहे हैं.
गौतमी के लिए उनके पति एक थुलथुल शरीर वाले औसत भारतीय पुरुष हैं. दस साल पहले एक सीरियल घर एक मंदिर के सेट पर गौतमी की मुलाकात कपूर से हुई थी. वहीं से दोनों के बीच आकर्षण शुरू हुआ. गौतमी कहती हैं, ‘महिलाएं उनके साथ सुरक्षित महसूस करती हैं. उनमें कोई बनावटीपन नहीं है, वे आसानी से लोगों के दिल में जगह बना लेते हैं.’ शायद यही वजह है कि अकसर ट्रैफिक सिग्नल पर महिलाएं उनका पीछा करती हैं, उन्हें अपना नंबर देती हैं और कई बार तो अपनी फोटो के साथ शादी का प्रस्ताव भेज देती हैं.
एक मामले में राम कपूर बिलकुल परंपरागत भारतीय पुरुष हैं. जैसे सिगरेट पीना. सिगरेट पीते हुए वे सरसरी निगाह में एक पेज का स्क्रीनप्ले पढ़ जाते हैं और लगभग एक मिनट में ही उसे दिमाग में भी बैठा लेते हैं. एक दिन में तकरीबन 40 सिगरेट फूंक देने वाला यह अभिनेता आपको इस दौरान कई-कई तरह के लहजे में संवाद बोलकर बताता है (वे रूसी के साथ-साथ ब्रिटेन में बोली जाने वाली तरह-तरह की अंग्रेजी के लहजे में बात कर सकते हैं). अपनी कमियों पर राम कहते हैं, ‘अभिनेता के तौर पर आपको पूरी तरह से खुद को स्वीकार करना पड़ता है. यदि आप अपनी असुरक्षाओं को अभिनय में ला पाए तो यह आपको बेहतर अभिनेता बना देता है.’
वे वजन घटाने ( हंसते हुए वे बढ़े हुए वजन के लिए कपूर परिवार के खानदानी गुणों को जिम्मेदार बताते हैं) की एक लंबी लेकिन हारी हुई लड़ाई पर बात करते हुए कहते हैं कि एक समय था जब उनके भी सिक्सपैक थे और शादी के समय उनकी पत्नी यह मानकर चल रही थी कि वह एक दुबले-पतले आदमी से शादी कर रही है. शादी के बाद उनका वजन बढ़ना शुरू हुआ और कपूर की मानें तो बढ़ते वजन के साथ ही उनका करियर भी उसी तेजी से आगे बढ़ने लगा. आज वे डरते हैं कि यदि उन्होंने वजन घटाने की कोशिश की तो उनका करियर ढलान पर आने लगेगा. वे अभिनय जगत के इक्का-दुक्का खुशकिस्मत लोगों में से हैं जो जिम नहीं जाते और जैसा मन करे वैसा खाना खाते हैं.
फिल्म उड़ान के निर्देशक विक्रमादित्य मोटवानी को राम के इस रवैये से एतराज है. वे कहते हैं, ‘ उनके डीलडौल की वजह से उन्हें कुछ खास भूमिकाएं ही दी जाती हैं. यह नहीं होना चाहिए क्योंकि वे कमाल के अभिनेता हैं. फिल्म उड़ान में मेरा सबसे पसंदीदा दृश्य वह है जिसमें रोहन घर से भागकर अपने अंकल (राम) की ओर जाता है. यहां आप उनके चेहरे पर सारे भाव- खुशी, दुख, निराशा, पश्चाताप.. एक साथ देख सकते हैं.’ एजेंट विनोद के निर्देशक श्रीराम राघवन कहते हैं, ‘ वे एक मंझे हुए और असली अभिनेता हंै.’
एक धनी बिजनेसमैन की भूमिका में अभी तक बेहद सहजता से स्वीकार किए जाने की एक वजह शायद यह हो सकती है कि राम कपूर खुद एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता, रंजन कपूर विज्ञापन की दुनिया का जाना-माना नाम थे और वे अपने बेटे को काॅरपोरेट की दुनिया में ही राज करते हुए देखना चाहते थे. लेकिन नामी-गिरामी शेरवुड कॉलेज के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते हुए कपूर ने एक बार राजा हुसैन के एक नाटक में काम किया और यह अनुभव अभिनय से उनका स्थायी जुड़ाव साबित हुआ. इसके बाद वे मेथड एेक्टिंग की पढ़ाई करने लॉस एंजिल्स के स्टानिस्लाव्सकी कॉलेज ऑफ एेक्टिंग चले गए. हर आदमी की जिंदगी में आने वाला संघर्ष का पहला दौर उन्हें यहां देखना पड़ा. पहली कोशिश में उन्हें दाखिला नहीं मिला. फिर एक साल तक उन्होंने छोटी-मोटी नौकरियां कीं. एक साल के बाद फिर राम ने कोशिश की और उन्हें कॉलेज में प्रवेश मिल गया. दो साल बाद वे अपनी कक्षा के उन 22 में से आठ छात्रों में से थे जिन्हें स्नातक की डिग्री मिली थी. अपने कॉलेज के दिनों की पढ़ाई के बारे में बात करते हुए वे कहते हैं, ‘ मेथड एेक्टिंग के इस कालेज में पढ़ाई बिलकुल ऐसी ही थी जैसे भावनाएं सिखाने के लिए आपकी कमांडो ट्रेनिंग हो रही हो.’
मुंबई आने के बाद सबसे पहले उन्हें सुधीर मिश्रा के टीवी सीरियल न्याय (1997) में काम करने का मौका मिला. उसके बाद उन्होंने घर एक मंदिर (2000) में काम किया. इस बीच सुधीर की ही चर्चित फिल्म हजारों ख्वाहिशें ऐसी में उन्हें एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका मिली. 2005 में रिलीज हुई फिल्म काल में भी उन्होंने काम किया है. इसके बाद राम की जिंदगी में संघर्ष का दूसरा दौर शुरू हुआ जब पूरे दो साल तक वे खाली बैठे रहे. इस समय वे बॉलीवुड में बड़ी भूमिकाओं की तलाश में थे. आखिर में उन्होंने छोटे पर्दे पर फिर से आना स्वीकार किया और 2006 में एकता कपूर के सीरियल कसम से के लिए मुख्य किरदार की भूमिका निभाई.
यदि टीवी पर कोई सफलतम कलाकार का दर्जा होता है तो आज राम कपूर इसी पर हैं. इस समय अकसर फिल्म निर्माता उनसे फिल्मों में खास भूमिकाओं के प्रस्ताव लेकर मिलते रहते हैं. रोजाना आने वाले टीवी सीरियलों में सुबह चार बजे तक काम की शिफ्ट और फिल्मों की भूमिकाएं उन्हें उनके एक और शौक के लिए काफी कम वक्त छोड़ती हैं और वह है हॉलीवुड. हॉलीवुड के बारे में बारीक से बारीक बातों की जानकारी रखने वाले राम आपको तुरंत यह बता सकते हैं कि अमेरिकन ब्यूटी के लिए अकेडमी अवार्ड जीतने वाले केविन स्पेसी कितने सालों तक वेटर रहे या हॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता डस्टिन हॉफमेन ने किस कॉलेज में पढ़ाई की है. और यहां खास बात यह है कि हर सवाल का जवाब एक कहानी के रूप में होता है.
कैमरे के सामने राम कपूर एक गंभीर अभिनेता हैं, जहां वे तर्करहित दुनिया और औसत अभिनय करने वालों की दुनिया का हिस्सा हैं. इसके अलावा जब वे एेक्टिंग नहीं कर रहे होते तब भी आप उनकी बातों में अपने काम से जुड़ा जुनून महसूस कर सकते हैं. हालांकि वे खुद अपने बारे में यह स्वीकार करते हैं कि उनके दोस्त और परिवार के सदस्य उनके सीरियलों के टारगेट ऑडियंस नहीं हैं. वे कहते हैं, ‘मेरी निजी और पेशेवर जिंदगी बिलकुल जुदा है. मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि मेरी निजी जिंदगी में कभी बोझिल पल न आ पाएं और मैं इस बात से भी खुश हूं कि यही मैं टीवी पर भी कर पाता हूं.’ यही वजह है कि एक बार जब एक निर्देशक ने उनसे एक सीरियल में भारतीय टीवी निर्देशकों के पसंदीदा शॉट- चेहरे को तीन बार अलग-अलग दिखाने की बात कही तो उन्होंने उस निर्देशक को सीधे अपना रास्ता नापने के लिए कह दिया था.