चुनाव नतीजे पक्ष में न आने से परेशान बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को सपा से गठबंधन तोड़ते हुए यह तो कहा कि यह स्थाई ब्रेक नहीं है, लेकिन यह भी कहा सपा से गठबंधन का बसपा को कोइ फायदा नहीं हुआ। अब सम्भावना यही है कि भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में शायद गठबंधन हो, क्योंकि पार्टी और अपने अस्तित्व के लिए मायावती की नजर अब मुख्यमंत्री पद पर रहेगी। अगले विधानसभा चुनाव में गैर भाजपा दलों का तिकोन बनने की सम्भावना है क्योंकि कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी का चेहरा आगे कर अपने बूते चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है।
बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया। उन्होंने कहा – ”अखिलेश यादव अपनी पार्टी के हालात सुधारें, अभी गठबंधन पर यह स्थाई ब्रेक नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में ११ सीटों पर बसपा अकेले लड़ेगी।”
इससे पहले सोमवार को दिल्ली में लोक सभा चुनाव की चर्चा बैठक में मायावती ने उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा के पार्टी प्रभारियों को हटा दिया था यही नहीं दिल्ली और मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष भी बदल दिए थे और उप्र में बसपा प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा से उत्तराखंड के प्रभारी का जिम्मा वापस ले लिया गया था।
उधर मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि लोकसभा चुनाव में तो सपा को उसका बेस यानी यादवों के ही वोट नहीं मिले। ”खुद डिंपल यादव और उनके बड़े नेता चुनाव हार गए। यह चिंता का विषय है।” सोमवार को दिल्ली में मायावती ने लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा की थी। मायावती ने पदाधिकारियों और सांसदों के साथ हुई बैठक में कहा था कि सपा से गठबंधन का फायदा नहीं हुआ तभी से यह लग रहा था कि यह गठबंधन अब कभी भी टूट सकता है।
आज प्रेस कांफ्रेंस में में मायावती ने कहा कि जब से सपा-बसपा गठबंधन हुआ, तब से अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल ने उन्हें काफी सम्मान दिया। मायावती ने कहा – ”मैंने भी राष्ट्रहित के लिए सारे मतभेद भुलाकर उन्हें सम्मान दिया था। हमारे रिश्ते केवल राजनीतिक नहीं थे। मैंने उन्हें परिवार की तरह पूरा आदर दिया और यह सम्मान हर सुख-दुख की घड़ी में बना रहेगा। लेकिन राजनीतिक हालात को दरकिनार नहीं किया जा सकता। लोकसभा के जो नतीजे सामने आए, इससे बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि लोकसभा चुनाव में सपा का बेस वोट पूरी तरह गठबंधन के साथ खड़ा नहीं रहा। कन्नौज से डिंपल यादव, बदायूं से धर्मेंद्र यादव और रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय का फिरोजाबाद से हारना चिंताजनक है। बसपा और सपा का बेस वोट जुड़ने से इन उम्मीदवारों को कभी नहीं हारना चाहिए था। सपा का बेस वोट खुद उनसे छिटक गया है तो बसपा को उनका वोट कैसे मिला होगा।”
मायावती ने कहा कि उन्होंने दिल्ली बैठक में गठबंधन और लोकसभा के नतीजों पर चर्चा की है। ”बसपा को गठबंधन करने से कुछ खास सफलता नहीं मिली है। सपा को बसपा की तरह सुधार लाने की जरूरत है। सपा के लोगों ने एकजुटता का मौका इस चुनाव में मौका गंवा दिया। मुझे लगता है कि यह स्थाई ब्रेक नहीं है। आगे अखिलेश यादव बेहतर कर पाए तो हम साथ काम करेंगे। अगर उन्होंने ठीक से काम नहीं किया है तो अच्छा होगा कि हम अलग हो जाएं।”
सपा से नाता तोड़ा मायावती ने, अकेले लड़ेंगी उपचुनाव
बसपा सुप्रीमो ने कहा - सपा से गठबंधन कर कोइ फायदा नहीं हुआ