भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को निर्वाचन आयोग से मुलाकात कर कांग्रेस पार्टी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और कड़ी कार्रवाई की मांग की हैं। आयोग से मिले भाजपा के प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, तरुण चुग, भाजपा के मीडिया इंचार्ज अनिल बलूनी और ओम पाठक शामिल रहे।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने मीडिया कहा कि, “हमने चुनाव आयोग को गंभीर विषय पर ज्ञापन दिया है। सोनिया गांधी ने जानबूझकर संप्रभुता शब्द का इस्तेमाल किया हैं। कांग्रेस का घोषणा पत्र टुकड़े-टुकड़े गैंग का एजेंडा है। कांग्रेस झूठी बुनियाद पर प्रचार कर रही है और इसलिए वे इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर रहे है। हमारे विषय को चुनाव आयोग ने गंभीरता से लिया है और हमें उम्मीद है कि चुनाव आयोग इस राष्ट्र विरोधी कृत्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।“
निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराने के बाद अनिल बलूनी एक सवाल के जवाब में कहा कि, “संविधान की बुनियादी संरचना और सेक्शन 29 (a) के तहत हर पार्टी पंजीकरण के समय एक अंडरटेकिंग देती है जिसमें वे भारत की संप्रभुता और अखंडता की सौगंध लेते है और उन्होंने उसका सीधे-साधे उल्लंघन किया है तो कांग्रेस पार्टी का रजिस्ट्रेशन ही कैंसल होना चाहिए। निर्वाचन आयोग ने हमें आश्वासन दिया है कि वे इस बात पर विचार करेंगे। और हमारी मांग है कि संविधान के मुताबिक कमिशन जो तय करे उनके खिलाफ यह कार्रवाई होनी चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि, “दूसरा हमने यह बोला है कि कमिशन ने करप्शन वाला सबूत लाने के लिए परसो (यानी 6 मई को) जो कांग्रेस को नोटिस दिया था और कल शाम 7 बजे तक का कांग्रेस पार्टी को उन्होंने समय दिया था। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने सबूत नहीं दिया क्योंकि उनके पास सबूत है ही नहीं। हमने इसपर मांग की है कि वे माफी मांगे और बताए की वे जनता को झूठ बोल कर गुमराह कर रहे हैं व जो भी आरोप लगा रहे है वे सभी निराधार हैं।“
आपको बता दें, कर्नाटक में विधानसभा चुनाव प्रचार आज शाम थम जायेगा यानि की आज प्रचार का अंतिम दिन हैं। और भाजपा कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के एक बयान को लेकर चुनाव आयोग पहुंची हैं।
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने शुक्रवार को ट्वीट किया था जिसमें वे कर्नाटक में चुनाव प्रचार करती नजर आ रही हैं। इस ट्वीट में कांग्रेस ने कहा कि, “सोनिया गांधी 6.5 करोड़ कन्नड़ वासियों को स्पष्ट संदेश दिया। कांग्रेस किसी को भी कर्नाटक की प्रतिष्ठा, संप्रभुता या अखंडता के लिए खतरा पैदा करने की अनुमति नहीं देगी।”