लोगों के साथ बातचीत या भाषण सुनने से भी संक्रमित व्यक्ति से कोरोना वायरस फैल सकता है। एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, बोलने के दौरान हवा में माइक्रोप्लेटलेट उत्पन्न होते हैं, जिनसे आसपास करीब 10 मिनट तक इसके कण मौजूद रहते हैं। इन्हीं सूक्ष्म कणों से कोविड-19 फैलने का खतरा बना रहता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिसीजिज के किए गए अध्ययन के मुताबिक एक बंद कमरे में जोर से दिए जाने वाले भाषण के दौरान 25 सेकंड दौरान दोहराव को अपनाया गया। कमरे के अंदर ड्राॅपलेट देखे गए और उनकी गिनती की गई। इसमें पाया गया कि ये ड्राॅपलेट हवा में करीब 12 मिनट तक रहे हैं।
यह अध्ययन अमेरिका के जर्नल प्रोसीडिंग्स आॅफ नेशनल अकेडमी आॅफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है। हवा में मौजूद थूक में कितनी मात्रा और किस-किस में कोरोना होता है, इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रति मिनट तेज आवाज में दिए गए भाषण के दौरान 1000 से ज्यादा वायरस के ड्राॅपलेट जारी होते हैं और ये आसपास की हवा में करीब 8 मिनट तक जिंदा रहे हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सामान्य तौर पर बातचीत करने में भी हवा से वायरस फैलने का खतरा 10 या 12 मिनट तक रह सकता है यानी संक्रमित व्यक्ति से बात करना भी खतरे से खाली नहीं है। उसके आसपास जो भी लोग सुन रहे होते हैं या रह रहे होते हैं, उन सबमें इस वायरस के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।