शिवसेना के ‘सामना’ से नाराज बीजेपी, सत्ता मेंं भागीदारी को लेकर उठ रहे सवाल

शिवसेना के माउथपीस ‘सामना’ के मार्फत बीजेपी को टारगेट करने की स्ट्रैटेजी से बीजेपी परेशान नजर आ रही है। सूत्रों की माने तो बीजेपी का कहना है कि जब तक शिवसेना ‘सामना’ के जरिए बीजेपी को टारगेट करना बंद नहीं करती महाराष्ट्रकी सत्ता मेंं भागीदारी को लेकर शिवसेना से चर्चा नहीं की जा सकती।

चुनावी नतीजों के बाद महाराष्ट्र में सत्ता को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच खींचातानी चल रही है। शिवसेना चाहती है कि महाराष्ट्र का चीफ मिनिस्टर आदित्य ठाकरे बने लेकिन बीजेपी चीफ मिनिस्टर की कुर्सी हाथ से नहीं जाने देना चाहती।

हालांकि बीजेपी इशारा कर चुकी है कि आदित्य ठाकरे को डेप्युटी चीफ मिनिस्टर की कुर्सी दी जा सकती है लेकिन शिवसेना चाहती है कि चीफ मिनिस्टर की कुर्सी बारी बारी से ढाई ढाई साल के लिए शिवसेना और बीजेपी को मिले। पहले ढाई साल के लिए चीफ मिनिस्टर आदित्य ठाकरे और अगले ढाई साल के लिए चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस रहें। शिवसेना ने अलग अलग हवाले से इस बात को लेकर करारनामा तक लिखाने की बात की है।

गौरतलब है कि शिवसेना ‘सामना’ के जरिए बीजेपी को निशाना बनाती रही है, इतना ही नहीं कभी-कभार प्राइम मिनिस्टर मोदी भी ‘सामना’ की कटाक्ष से बच नहीं पाते। हाल ही में दिवाली के मौके पर आर्थिक मंदी को लेकर भाजपा की नीतियों को आड़े हाथ ‘सामना’ ने लिया था। 27 अक्टूबर के एडिटोरियल में ‘सामना’ ने लिखा कि 2014 में अलग अलग चुनाव लड़ने के बावजूद बीजेपी को 122 और शिवसेना को 63 सीट्स मिली थींं। 2019 में यानी इस समय गठबंधन के बावजूद शिवसेना 56 पर रुक गई। भले ही यह अंक छोटा लग रहा हो लेकिन सत्ता का रिमोट उद्धव ठाकरे के हाथ में आ गया है। आया राम का जो बाजार भरा गया था वह शेयर बाजार की तरह ढह गया। 106 सीटें जीतने के बावजूद बीजेपी के सिर पर तलवार लटक रही है। इतना ही नहीं एक निजी चैनल के साथ बातचीत में शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि अलग अलग एमएलए शिवसेना को समर्थन दे रहे हैं और इससे शिवसेना की ताकत बढ़ रही है। उद्धव ठाकरे के निर्णय पर सारी चीजें डिपेंड करती हैंं और शिवसेना अपनी अपने स्टैंड पर कायम है। सभी को महाराष्ट्र में परिवर्तन चाहिए और इसी परिवर्तन के चलते चुनाव के नतीजे दिखाई दे रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा महाराष्ट्र के कैनवास पर रंग शिवसेना ही भरेगी और ब्रश उद्धव ठाकरे के हाथ में है।

दबाव बनाने की इस रणनीति से बीजेपी परेशान नजर आ रही है। और एक बड़ा गुट बेहद नाराज नजर आ रहा है। सूत्रों के हवाले से जो खबर सामने आई है उससे मालूम पड़ता है कि बीजेपी, शिवसेना की मांग को नजरअंदाज कर 2014 की तरह सरकार बनाने के लिए गवर्नर के पास दावा कर सभागृह में बहुमत साबित करने की मूड में है। खबर तो यहां तक है कि बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह की मुंबई यात्रा जो महाराष्ट्र में सत्ता की भागीदारी को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।