दो धड़ों में बंटने के एक साल बाद महाराष्ट्र में शिव सेना के दोनों गुट आज अपना-अपना स्थापना दिवस मनाएंगे। एक तरह के शक्ति परीक्षण के रूप में दोनों धड़े खुद को बाला साहेब ठाकरे का ‘असली उत्तराधिकारी’ साबित करने की कोशिश करेंगे।
शिव सेना का शिंदे गुट जहाँ भाजपा के साथ महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज है, वहीं उद्धव ठाकरे वाली शिव सेना सरकार का जबरदस्त विरोध करती आई है। दोनों के लिए अलगे साल होने वाले विधानसभा के चुनाव कड़ी चुनौती वाले रहेंगे। अभी तक सत्ता से बाहर रहने के बावजूद उद्धव ठाकरे ने अपनी शक्ति ख़त्म नहीं होने दी है, जो एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं।
शिंदे और उद्धव के नेतृत्व वाले गुट आज मुंबई में अलग-अलग कार्यक्रमों में पार्टी का स्थापना दिवस मना रहे हैं। शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना जहां उत्तर-पश्चिम मुंबई के गोरेगांव में अपना कार्यक्रम आयोजित करेगी, वहीं शिवसेना (यूबीटी) मध्य मुंबई के सायन में अपना कार्यक्रम आयोजित करेगी।
पिछले साल जून में, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव के खिलाफ विद्रोह कर 39 विधायक तोड़ लिए थे उद्धव सरकार गिरा दी थी। वो भाजपा के साथ मिलकर सत्ता पर बैठ गए थे।
चुनाव आयोग ने बाद में उनके गुट को मूल पार्टी का नाम और ‘धनुष और तीर’ का प्रतीक प्रदान किया। ठाकरे समूह का नाम शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) रखा गया।
शिंदे तब मुख्यमंत्री और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बने थे। फिलहाल माना जाता है कि भाजपा और शिंदे के बीच तनातनी भी पैदा हुई है। हाल में दो ऐसे पोस्टर आये जिनसे जाहिर हुआ कि भाजपा-शिंदे गठबंधन में सब कुछ सही नहीं है।