शराब की दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

पुलिस को करना पडा बल प्रयोग, लोगों ने जतायी नाराजगी कहा सरकार कर रही जिन्दगियों से खिलवाड, कहा शराब माफियाओं का दबाव तो नहीं है जिसके कारण खोलने पडें ठेके

कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर केंद्र सरकार ने 22 मार्च से लेकर आज तक जो तत्परता दिखाई है । उसकी देशवासियों  ने नफा -नुकसान को ना देखते हुये सरकार फैसले का स्वागत भी किया है।देशव्यापी लाँकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी शर्ते रखी है। देश के लगभग सभी नागरिकों ने जिस पर जितना बना उसने उसका पालन भी किया है । पर अब ऐसी कौन सी आफत देश में आ पड़ी की, शराब की दुकानें खोलने को सरकार को मजबूर होना पड़ा है।

कहीं ये शराब माफियाओं का दबाव तो नहीं है। जिसके कारण लोगों की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

देश में एक ओर तो 17 मई तक सरकार ने लाँकडाउन जैसी शर्तें लगा रखी है । जरूरतमंद लोग अपने घरों में  ना आ सकते है, ओर ना जा सकते है।पर राज्य सरकारों देश की बिगड़ती अर्थ व्यवस्था का हवाला देकर जो शहर –शहर ओर गांव- गांव में शराब की दुकान खोलकर जो हाल किया है। उससे उन लोगों को जरूर धक्का लगा है । जो सही मायने कोरोना के खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग कर ओर अपनी इच्छा से लोगों की सेवा कर रहे थे।

दिल्ली , उत्तर – प्रदेश, छत्तीसगढ और महाराष्ट्र में शराब की दुकानों में शराबियों की जो हुड़दंगलीला देखी गई , सोशल डिस्टेंसिंग धज्जियां को तार –तार किया गया । पुलिस को शराब की दुकानों में लगी लम्बी – लम्बी लाइनों को काबू करने में हल्का बल प्रयोग करना पढा है।दुकानों में तोड़-फोड़ भी हुई है।

तहलका संवाददाता को पुलिस कर्मियों ने बताया कि एक ओर तो सरकार रेड जाँन, औरेंज जाँन ओर ग्रीन जाँन जैसी श्रेणी में व्यवस्था को लागू कर , कोरोना को मात देने की बात करती है। वहीं शराब की दुकानों को खोलकर सरकार खुद अव्यवस्था को बढावा दे रही है।क्योंकि सरकार ओर आबकारी विभाग के अधिकारी भी जानते है । कि शराब का जो सेवन करता है उससे किसी प्रकार की सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों की उम्मीद करना ठीक नहीं है।फिर भी ना जाने क्यों शराब की दुकानों को खुलवाकर कोरोना जैसी  बीमारी को बढावा दिया जा रहा है।  दिल्ली के कई इलाकों में शराब की दुकानों में इस कदर भीड उमड पडी कि शराब विक्रेता तक को दुकान बंद कर भागना पडा. दुकानदार गणेश ने बताया कि दिल्ली में शराब की कोई कमी नहीं है।  शराब सबको आसानी से मिल सकती है पर शराबी तो शराबी है वो क्या जानें सोशल डिस्टेंसिंग । ऐसे में शराब की दुकानों में जो अफरा –तफरी मची उससे तो ये स्पष्ट है कि शराब  ठेका जरूर कोरोना  बढाने का ठेका ले लेंगा। सामाजिक कार्यकर्ता ओर आर्थिक मामलों के जानकार राजकुमार का कहना है कि शराब से मिलने वाला राजस्व सरकार के लिये अन्य विभागों से मिलने वाले राजस्व से अधिक है । पर इसका मतलब ये तो नहीं की आर्थिक लाभ के लिये किसी भी मुशीबत को ले लिया जाये। ऐसा ही सरकार जरा से लाभ के लिये कोरोना जैसी महामारी के समय में जब देश – दुनिया में हाहाकार मचा हो हर रोज कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा हो तो ऐसे में शराब की दुकान खोलकर सरकार जानें में या अनजानें में भयकंर भल कर रही है जिसके परिणाम घातक हो सकते है।गृहणी सुषमा का कहना है कि राजनीति में सब जायज है ये तो आज दिख गया, कि कोई राजनीतिक दल सरकार के शराब ठेकें खोलें जाने का विरोध तक नहीं कर रहे है।उन्होंने बताया कि लाँकडाउन के कारण उनके पति शराब इस लिये नहीं पी पाये क्योंकि शराब के ठेकें बंद थे।