व्यवस्था की दरकार, भूखे पेट कैसे, कहां रुकें लाचार

रेवाड़ी। हरियाणा के रेवाड़ी स्थित जैन गर्ल्स सीनियर सैकण्डरी स्कूल में पुलिस वालों ने 100 से अधिक लोगों को बन्धक बनाकर रखा हुआ है। जबकि केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार एक स्थान पर चार से अधिक लोगों को नहीं रखा जा सकता। ये लोग हरियाणा में या दैनिक मज़दूरी करते थे या फिर छोटी-मोटी प्राइवेट नौकरी। इस बारे में तहलका ने हरीश (बदला हुआ नाम) से बातचीत की। उन्होंने बताया कि वे और उनके साथी गुड़गाँव में नौकरी करते थे। क़रीब पाँच-छः दिन से उनका मकान मालिक उन्हें घर से जबरन निकाल रहा था, जबकि उन्होंने महीने भर का एडवांस किराया भी उसे दे रखा था। जब उन्हें मकान मालिक ने बहुत तंग कर दिया, तब मजबूरन वे लोग 27 मार्च की रात को उत्तर प्रदेश (अपने घर) की ओर कूच कर गये। इन लोगों और रास्ते में मिले कुछ अन्य लोगों को कुछ पुलिसकर्मियों ने एक दूध के टैंकर में बैठा दिया, जो कि पलवल तक जा रहा था। लेकिन रास्ते में रेवाड़ी पुलिस ने इस टैंकर को रोक लिया और टैंकर चालक की जमकर पिटाई कर दी। इसके बाद टैंकर में सवार सभी 40 लोगों को नीचे उतारकर वहाँ के जैन गर्ल्स सीनियर सैकण्डरी स्कूल में क़ैद कर दिया। इस स्कूल में पहले से ही कोई 25-30 लोग मौज़ूद थे।

28 मार्च की दोपहर तक बातचीत के मुताबिक पुलिस वाले इस स्कूल में इसी तरह के लाचार लोगों को भरते जा रहे थे। और अगर इन पुलिस वालों से कोई कुछ कह रहा है, तो उसे पीटने की धमकी दे रहे हैं। सवाल यह उठता है कि जब सरकार ने एक जगह चार से अधिक लोगों को इकट्ठा न करने और लोगों में कम-से-कम एक मीटर का फ़ासला बनाये रखने के आदेश दिये हैं, तब पुलिसकर्मी एक साथ सैकड़ों लोगों को एक जगह किस आधार पर रख रहे हैं? दूसरा, पुलिसकर्मी इन लोगों को इनके घर पहुँचाने का इंतज़ाम क्यों नहीं कर रही है? क्या हरियाणा पुलिस प्रशासन केंद्र सरकार के आदेश को नहीं मानता? क्या हरियाणा पुलिस कोरोना वायरस फैलाने का काम नहीं कर रही? क्या पुलिस को इस विपत्ति की घड़ी में लाचार और भूखे लोगों पर अत्याचार करने की परमीशन हरियाणा सरकार दे रही है? इस मामले की सूचना तहलका पत्रिका के समाचार संपादक पंडित प्रेम बरेलवी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हरियाणा पुलिस के ट्वीटर अकाउंट पर उन्हें दी है। यह इसलिए भी क्योंकि हो सकता है कि पुलिस के आला अधिकारियों और हरियाणा सरकार को इस बात की सूचना ही न हो कि उनकी पुलिस मजबूर लोगों के साथ इस तरह का व्यवहार कर रही है। तहलका भी हरियाणा के मुख्यमंत्री और हरियाणा पुलिस से अपील करती है कि या तो लॉकडाउन तक इन लोगों के ठीक से रहने की व्यवस्था की जाए या इन्हें सुरक्षित इनके घर छोड़ा जाए।

28 मार्च को रेवाड़ी सिटी थाने में इस बाबत पंडित प्रेम बरेलवी ने बातचीत की, जहाँ से रेवाड़ी सिटी थाने के इंस्पेक्टर राजदीप सिंह का मोबाइल नंबर प्राप्त हुआ। कई बार सम्पर्क करने के बाद 2 बजकर 17 मिनट पर उनसे बातचीत हो पायी।

उनसे जब पूछा गया कि आपके क्षेत्र के जैन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में सैकड़ों लोगों को क्यों इकट्ठा कर रखा है? जबकि केंद्र सरकार की गाइडलाइन और कोरोना वायरस के फैलने की आशंका के मद्देनज़र एक जगह 3-4 लोगों से अधिक को नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि हमने एक-एक कमरे में 3-4 लोगों को रखा है और उनके खाने-पीने की उचित व्यवस्था भी की गयी है। उनके संज्ञान में लाया गया कि इनमें से अनेक लोग वे हैं, जिन्हें मकान मालिकों ने भगा दिया। राजदीप सिंह ने कहा कि वे मकान मालिक अपने किरायेदारों को भगा रहे हैं, जिनके मकान में एक-एक कमरे में 8-8, 10-10 लोग रह रहे थे। जबकि मकान मालिक द्वारा निकाले गये एक युवक ने बताया कि वे तीन लोग ही एक कमरे में रहते थे, जिनमें से दो पहले ही घर चले गये थे। मकान मालिक को किराया भी पहले ही एडवांस दिया जा चुका था, तब भी उसने इस युवक को रहने नहीं दिया। दूसरा, वे लोग जो अपने परिवार के साथ किराये पर रहते थे, उनके परिवार में शायद ही 8-10 लोग हों; फिर उन्हें क्यों नहीं रहने दिया गया? आख़िर 21 दिन की ही तो बात थी। हालाँकि, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछ लोग घबराकर और कुछ खाने-पीने का इंतजाम न होने के चलते भी अपने घर को रवाना हुए होंगे।
जब इंस्पेक्टर राजदीप सिंह से पूछा गया कि क्या वह इन लोगों को सुरक्षित इनके घर भेजने की व्यवस्था कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि इसमें अनेक महिलाएँ और छोटे बच्चे हैं। वे 900 किलोमीटर पैदल जाएँगे, यह अच्छा है या यहाँ पर सुरक्षित रहना? यह कहते हुए राजदीप सिंह ने फोन काट दिया…!