दिल्ली में व्यापारियों की मांग पर दिल्ली सरकार ने आँड-ईवन और वीकेंड कर्फ्यू तो समाप्त कर दिया है। जिससे व्यापारियों में खुशी है। व्यापारियों का कहना है कि कोरोना के मामलें भी कम आ रहे है। ऐसे में जायज भी है कि बाजारों को खुलना चाहिये। ताकि व्यापारियों का कारोबार चल सकें और व्यापारियों के साथ जुड़े अन्य छोटे कर्मचारी है उनकी नौकरी भी बने रहे।
दिल्ली सरकार ने इन्ही बातों को भाप कर वीकेंड़ कर्फ्यू सहित अन्य पांबदियों को हटाने का फैसला लिया है। बताते चले कि दिसम्बर माह से दिल्ली सहित एनसीआर में कोरोना के मामलें बढ़ने लगे थे। इसी के मद्देनजर सरकार ने ये तामाम पाबंदियों सहित वीकेंड कर्फ्यू का निर्णय लिया था। जिसका असर ये हुआ कि दिल्ली में कोरोना के मामलों में काफी कमी आयी। क्योंकि बाजारों के बंद होने से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया गया।
गांधी नगर के व्यापारी संतोष कुमार का कहना है कि सरकार ने व्यापारियों की मांगों को माना है। जिसके चलते बाजारों में लगा आँड-ईवन भी समाप्त किया गया है। उनका कहना है कि गांधी नगर कपड़े का एशिया का सबसे बड़ा मार्केट होने की वजह से देश भर के गांव–शहरों से यहां से कपड़ा ले जाकर व्यापार करते है। लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा जब आँड–ईवन से साथ वीकेंड कर्फ्यू लगाया गया। तब व्यापार पर काफी विपरीत असर पड़ा था।
वहीं अन्य व्यापारियों ने तहलका को बताया कि सरकार के फैसले के बाद भले ही व्यापारियों ने राहत की सांस ली हो लेकिन अगर कोरोना बढ़ता है तो कोरोना गाईड-लाईन का पालन नहीं होता है। तो फिर से बाजारों में पांबदी लग सकती है।
दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी एस के गोयल ने बताया कि अगर व्यापारियों का दबाव न होता तो कम से कम फरवरी माह तक वीकेंड कर्फ्यू की जरूरत थी। तब तक कोरोना पर काफी हद तक काबू जा सकता था। लेकिन व्यापारियों की मांग के आगे सरकार ने फैसला बदला है और तामाम पाबंदियों पर छूट दी है।
बताते चलें व्यापारियों ने सरकार को चेतावनी भी दी थी अगर वीकेंड कर्फ्यू के साथ बाजारों को पुनः न खोला गया तो जो उनके यहां नौकरी करते है। उनको नौकरी से निकाल दिया जायेगा। इसी बात को समझकर और व्यापारियों की चेतावनी को हल्कें में न लेकर बाजारों को खोलने का निर्णय लिया गया है।