विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष

भारत के पर्यटन स्थलों में सुधार की ज़रूरत

भारत चार मौसमों, छ: ऋतुओं और दर्ज़नों तरह की संस्कृति वाला एक सुंदर महाद्वीप है। यही वजह है कि दुनिया भर के पर्यटक भारत घूमने के लिए आते रहते हैं। यही वजह है कि भारत में पर्यटन कमायी का एक अच्छा ज़रिया है। आजकल घूमना-फिरना सबको अच्छा लगता है, जिनके पास ज़्यादा पैसा होता है, वो विदेशों में घूमने जाते हैं।

इससे अपना पैदा विदेशों में जाता है, जिससे काफ़ी नुक़सान भी होता है। लेकिन अगर भारत सरकार इसे रोकना चाहे, तो अपने सभी पर्यटन स्थलों को और बेहतर बनाकर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय को इसके लिए संकल्प लेना चाहिए।

पहली बार सन् 1980 में विश्व पर्यटन दिवस संयुक्त राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) ने मनाना शुरू किया था। 27 सितंबर, 1970 को संयुक्त राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन को मान्यता मिली थी।

सन् 2022 में विश्व पर्यटन दिवस का मेज़बान इंडोनेशिया था और इसकी थीम ‘पर्यटन पर पुनर्विचार’ यानी ‘रीथिंकिंग टूरिज्म’ थी। इस बार 2023 की विश्व पर्यटन दिवस की थीम ‘पर्यटन और हरित निवेश’ यानी ‘टूरिज्म एंड ग्रीन इन्वेस्टमेंट’ है। इस साल 43वाँ विश्व पर्यटन दिवस है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्यों को बढ़ावा देने में पर्यटन की भूमिका के बारे में जागरूकता को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि लोगों में पर्यटन स्थलों के बारे में जागरूकता के साथ-साथ उन्हें सजाने और संवारने में रुचि पैदा हो। भारत में केंद्र से लेकर राज्यों तक की सरकारों और टूरिज्म से कमायी करने वाले लोगों को इस बात को ध्यान में रखना होगा कि भारत के पर्यटन स्थल जितने साफ़-सुधरे, आकर्षक और हरे-भरे होंगे, उतने ही ज़्यादा पर्यटकों को वो आकर्षित कर सकेंगे। इससे सरकार के साथ-साथ पर्यटन स्थलों के सहारे अपनी आजीविका चलाने वालों की इनकम बढ़ेगी। इसके साथ ही पर्यटन स्थलों को अपराध से मुक्त करना होगा।

पर्यटन स्थल जितने सुरक्षित होंगे, उतने ज़्यादा लोग वहाँ आना पसन्द करेंगे। इसके अलावा पर्यटन स्थलों और उनके आसपास के इलाकों को ठगी, भिक्षावृत्ति और नशे से मुक्त करना होगा, ताकि पर्यटकों में किसी प्रकार का डर न रहे। अक्सर देखा जाता है कि पर्यटन स्थलों पर लूटपाट, चोरी, बलात्कार, हत्या, ठगी, भिक्षावृत्ति और नशा तस्करी होती है। इससे पर्यटक इन स्थानों पर पहुँचने और ठहरने से डरते हैं। पर्यटक जल्दी किसी पर भरोसा नहीं कर पाते। इससे पर्यटकों को गाइड करने वालों को भी काम मिलने में मुश्किल होती है। सरकार को इन परेशानियों को दूर करने के साथ-साथ पर्यटन स्थलों पर व्यवसाय करने वाले लोगों को पर्यटन स्थलों को और सुन्दर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके अलावा पर्यटन स्थलों पर व्यवसाय करने वाले लोगों को पर्यटकों के प्रति अपना व्यवहार मधुर और प्रेमपूर्ण रखने की आदत डालनी चाहिए।

भारत में लाखों लोगों का जीवन पर्यटन पर निर्भर है। पर्यटन के आँकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल 25 से 45 लाख विदेशी पर्यटक आते हैं। इससे सरकार को हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। विदेशी पर्यटक भारत में सांस्कृतिक स्थानों, रमणीय स्थानों, गाँवों, पुरानी विरासतों और बाज़ारों को देखने के लिए आते हैं। ऐसे स्थानों को सजाने-सँवारने की ज़िम्मेदारी केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय को लेनी चाहिए और जर्जर हो चुके पर्यटन स्थलों का जीर्णोद्धार कराना चाहिए।

आज़ादी के एक साल बाद यानी सन् 1948 से भारत में पर्यटक यातायात समिति की स्थापना का उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना ही था। लेकिन जितनी तेज़ी से पर्यटन स्थलों को बेहतर किया जाना था, उतनी तेज़ी से उनका विकास नहीं किया गया। आज भी कई राज्यों के पर्यटन स्थल देखभाव और पुनरुद्धार के अभाव में धूल फाँक रहे हैं, जिसके चलते वहाँ पर्यटकों के पहुँचने का सिलसिला थम-सा रहा है। इसके अलावा पर्यटन स्थलों पर महँगी चीज़ों, महँगे खानपान, महँगे कमरों और महँगे किराये के चलते लोगों का पहुँचना वहाँ कम हुआ है। हालाँकि इसके लिए भारत में होते अपराध भी ज़िम्मेदार हैं, जिसके चलते बाहरी ही नहीं, भारतीय नागरिक भी घूमने से डरते हैं। भारत में 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है; लेकिन इसके बावजूद सरकारों का ध्यान इन समस्याओं पर नहीं जाता, जिनके समाधान की तत्काल ज़रूरत है। भारत में पर्यटन की अपार संभावनाएँ हैं और अगर केंद्र से लेकर राज्यों की सरकारें चाहें, तो पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कारगर उपाय करके अरबों रुपये की सालाना कमायी कर सकती हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 6.23 से 7 प्रतिशत और कुल रोज़गार में 8.78 प्रतिशत योगदान पर्यटन क्षेत्र का है। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सन् 2021 में पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय 65 हज़ार 70 करोड़ रुपये हुई थी, जो सन् 2022 में 107 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 1 करोड़ 34 लाख 543 करोड़ हो गई। सन् 2021 में 15 लाख 20 हज़ार विदेशी पर्यटक भारत भ्रमण के लिए आए थे, जबकि सन् 2022 में 61 लाख 90 हज़ार विदेशी पर्यटक यहाँ आये थे। हालाँकि भारत सरकार पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है; लेकिन उन कमियों को दूर नहीं कर सकी है, जिनकी वजह से पर्यटक आना नहीं चाहते।

विश्व शान्ति दिवस

विश्व पर्यटन दिवस से पहले हर साल 21 सितंबर को विश्व शान्ति दिवस मनाया जाता है। दुनिया में जब तक शान्ति नहीं होगी, कोई चैन से नहीं जी सकेगा। आज के दौर में जब पूरी दुनिया नापना इंसान के लिए बहुत आसान हो गया है, तब शान्ति की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है; क्योंकि इसके बिना न तो व्यापार सम्भव है और न ही जोखिम कम किया जा सकता है। विश्व शान्ति दिवस की सन् 2022 की थीम ‘नस्लवाद का अन्त, शान्ति की स्थापना’ थी, जबकि इस साल 2023 की थीम ‘शान्ति के लिए कार्य : प्तवैश्विक लक्ष्यों के लिए हमारी महत्त्वाकांक्षा’ है।

आज जब क़रीब चार महीने से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है और पूरी दुनिया में अशान्ति फैलाने वाले आतंकवाद का ख़ौफ़ है, तब शान्ति की स्थापना को बढ़ावा देना और ज़रूरी हो जाता है। दुनिया में शान्ति की स्थापना के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1981 में विश्व शान्ति दिवस की घोषणा की थी। लेकिन दुनिया तरक़्क़ी के जितने पायदान चढ़ती जा रही है, इंसान उतना ही अशान्त युद्धरत होता जा रहा है, जिस पर गम्भीरता से विचार करने की आज बहुत ज़रूरत है। अगर दुनिया में अशान्ति बनी रहेगी, तो न कोई चैन से जी सकेगा और न ही पर्यटन को बढ़ावा मिल सकेगा। लेकिन शान्ति के लिए इंसान को अपनी आकांक्षाओं को कम करना होगा और लालच को पूरी तरह ख़त्म करना होगा।