विदेश में ऐश, नतीजा सिफर!

छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों में विदेश यात्राओं की होड़ लगी हुई है, लेकिन निवेश आकर्षित करने तथा तमाम अन्य जरूरी वजहों का हवाला देकर की जा रही इन विदेश यात्राओं का परिणाम अब तक शून्य ही रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह अक्टूबर, 2009 में जब एक सप्ताह की दक्षिण अफ्रीका यात्रा पर गए थे तब उन्होंने व्यापार-वाणिज्य के नजरिये से नए संबंधों की शुरुआत का हवाला देते हुए दावा किया था कि उनकी सरकार जल्द ही कोयले पर आधारित गैस के उत्पादन और प्लेटिनम धातुओं के संयंत्रों की स्थापना के लिए पहल करेगी, लेकिन चार साल बाद भी दक्षिण अफ्रीका के किसी निवेशक ने प्रदेश में निवेश की रुचि नहीं दिखाई. कमोबेश यही स्थिति वर्ष 2011 में भी बनी जब उन्होंने 9 से 21 अक्टूबर तक कैलिफोर्निया, सेन फ्रांसिस्को और लास एंजिल्स जैसे शहरों की खाक छानी. इस यात्रा के दौरान भी अप्रवासी भारतीयों को प्रदेश में पूंजी निवेश करने का न्यौता दिया गया था लेकिन परिणाम वही ‘ढाक के तीन पात’ रहा.

अकेले मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि अध्ययन या फिर ट्रेड फेयर में शिरकत के नाम पर अनेक मंत्री और अफसर विदेश यात्राओं पर जाते रहे हैं लेकिन सभी के नतीजे सिफर ही रहे हैं. वर्ष 2007 में जब रमन सरकार के एक मंत्री मेघाराम साहू ने मलेशिया और थाईलैंड की यात्रा की थी तब हल्ला मचा था कि वे सिंगापुर, मलेशिया और थाईलैंड क्यों जा रहे हैं. वजह यह थी कि वे सामान्य प्रशासन विभाग की अनुमति के बगैर अपने निजी सहायक बाबूलाल साहू को भी ले गए थे. मंत्री जब यात्रा से लौटे तो उन्होंने मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए एक रिपोर्ट तैयार करने की बात कही जो अब तक तैयार नहीं हो पाई है. मंडी बोर्ड के संयुक्त संचालक एस राय तहलका से कहते हैं, ‘प्रदेश में कुल 70 मंडियां है लेकिन सभी अधकचरे ढंग से संचालित हो रही हैं. दुर्ग और राजनांदगांव जैसे जिलों में फलों के क्रय-विक्रय के लिए फल मंडी जरूर खोली गई है लेकिन इसका रिस्पांस भी बेहतर नहीं माना जा सकता.’

वर्ष 2007 में ग्रामोद्योग मंत्री केदार कश्यप ने ग्रामोद्योग विभाग के सचिव सीके खेतान और हस्तशिल्प बोर्ड के महाप्रबंधक नरेंद्र सिंह चंदेल के साथ बारी (इटली) की यात्रा की थी. इस यात्रा के दौरान भी मंत्री ने छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्पियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्थक मंच देने का दावा किया था. इस यात्रा पर कुल 14 लाख 79 हजार 84 रुपये खर्च किए गए.

अफसरों ने यात्रा के अनुभव को लेकर हस्तशिल्प विकास बोर्ड के समक्ष एक संक्षेपिका भी प्रस्तुत की, लेकिन बाद में यह देखने की जहमत नहीं उठाई गई कि हस्तशिल्पियों को सही बाजार मिल पा रहा है या नहीं. बोर्ड ने वर्ष 2008-09 में देश के कुल 24 स्थानों पर शिल्पकलाओं की प्रदर्शनी लगाई थी, जबकि वर्ष 2009-10 में मात्र दस स्थानों पर प्रदर्शनी लग पाई. बाद के सालों में प्रदर्शनियों की संख्या और भी कम हो गई. बोर्ड पहले उन तमाम कलाकारों के आवागमन का खर्च वहन किया करता था जो देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित की जाने वाली प्रदर्शनियों में शामिल हुआ करते थे लेकिन धीरे-धीरे बोर्ड ने यह बंद कर दिया. 

 

2008 में गृह मंत्री रामविचार नेताम इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यूज की बैठक में भाग लेने के लिए नॉर्वे गए थे लेकिन इसकी संक्षेपिका तक मंत्रालय में मौजूद नहीं है

वर्ष 2008 में तत्कालीन गृह मंत्री रामविचार नेताम के अलावा 47 अफसर विदेश यात्रा पर गए थे. इन यात्राओं पर कुल एक करोड़ 67 लाख 10 हजार चार सौ साठ रुपये खर्च किए गए थे. इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यूज की ओर से नक्सलवाद की रोकथाम के लिए 10 से 17, अप्रैल तक नॉर्वे में आयोजित वैश्विक सम्मेलन से शिरकत के बाद जब गृहमंत्री स्वदेश लौटे तब उन्होंने नक्सलवाद के खात्मे के लिए प्रभावी उपायों को अपनाने की बात कही थी, लेकिन वहां क्या हुआ, किन उपायों पर जोर दिया गया इसकी कोई संक्षेपिका भी गृह विभाग के पास मौजूद नहीं है.

 

वर्ष 2009 में मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह अपने लाव-लश्कर के साथ दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर थे तो मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, विक्रम उसेंडी और रामविचार नेताम ने लंदन, इटली, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, जिनेवा, जापान और अमेरिका की यात्रा की थी. मंत्रियों के अलावा सरकार के 36 अफसर भी जमकर विदेश यात्रा पर गए जिन पर कुल एक करोड़ 66 लाख 37 हजार 121 रुपये खर्च हुए. इस साल पर्यटन मंडल के तत्कालीन सचिव सुब्रत साहू और महाप्रबंधक मदन गोपाल श्रीवास्तव ने लंदन, इटली और स्विटरजरलैंड में लगने वाले वर्ल्ड ट्रैवल मार्ट में शिरकत करने के बाद छत्तीसगढ़ में विदेशी पर्यटकों की ओर से रुचि दिखाने का दावा किया था लेकिन पर्यटन सूचना केंद्र के प्रबंधक दिलीप आचार्या छत्तीसगढ़ में विदेशी पर्यटकों की आवाजाही को उल्लेखनीय नहीं मानते. तहलका से चर्चा में वे कहते हैं, ‘प्रदेश में धार्मिक स्थलों की बहुलता के चलते धार्मिक पर्यटकों की आवाजाही तो साल भर बनी रहती है लेकिन छत्तीसगढ़ की पहचान नक्सलियों के एक प्रमुख गढ़ के रूप में प्रचारित कर दी गई है, फलस्वरूप विदेशी छत्तीसगढ़ आने से अब भी कतराते हैं.’ वैसे एक सच्चाई यह भी है कि वर्ष 2012 में जहां देसी पर्यटकों की संख्या दो लाख 33 हजार 251 थी तो विदेशी पर्यटकों में मात्र दो हजार एक सौ 66 ही यहां आए. 

वित्त विभाग के प्रमुख अजय सिंह ने भी 6 से 18 सितंबर तक यूरोपियन यूनियन स्टेट पार्टनरशिप कार्यक्रम के तहत उच्च स्तरीय अध्ययन के लिए डेनमार्क, नॉर्वे और आस्ट्रिया की यात्रा की. तब भी कहा गया था कि वे विभिन्न देशों में लोक स्वास्थ्य को बेहतर करने के नजरिये से चल रही योजनाओं का अध्ययन कर, उन्हें राज्य में लागू करने की पहल करेंगे. यात्रा में छह लाख 68 हजार 666 रुपये खर्च हुए थे. लेकिन स्वास्थ्य महकमे के पास कोई रिपोर्ट मौजूद नहीं है. वर्ष 2011 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के अलावा कुल सात मंत्रियों और 27 अफसरों ने विदेशी सैर-सपाटे को अंजाम दिया था. इस यात्रा में एक करोड़ 13 लाख पांच हजार सात सौ 61 रुपये फूंके गए. वर्ष 2012 में तीन मंत्रियों रामविचार नेताम, चंद्रशेखर साहू और अमर अग्रवाल के अलावा 57 अधिकारियों ने विदेश भ्रमण किया. उल्लेखनीय है कि इतने खर्च के बाद की गई विदेश यात्राओं का कोई हासिल नजर नहीं आता है.

इतना ही नहीं मंत्रियों के साथ जाने की बात छोड़ दी जाए तो राज्य के अधिकारी अपने स्तर पर भी विदेश यात्राओं में कतई पीछे नहीं हैं. उनकी इस होड़ पर भारी मात्रा में सरकारी धन खर्च हो रहा है. कई  प्रशासनिक अधिकारियों से जूनियर अफसर पीजाय उम्मेन ने छत्तीसगढ़ में अपनी पदस्थापना के दौरान सबसे ज्यादा विदेश यात्राएं की थीं. उम्मेन सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन वर्ष 2007 से वे लगातार विदेश यात्रा करते रहे हैं. जब वर्ष 2007 में वे आवास पर्यावरण महकमे का कामकाज देख रहे थे तब उन्होंने न्यू रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से एक लाख 68 हजार 859 रुपये के व्यय पर लंदन की यात्रा की थी. एक दिसंबर से 12 दिसंबर, 2008 तक वे वित्त विभाग के सचिव डीएस मिश्र के साथ लंदन और अमेरिका की यात्रा पर थे.

इतना ही नहीं मंत्रियों के साथ जाने की बात छोड़ दी जाए तो राज्य के अधिकारी अपने स्तर पर भी विदेश यात्राओं में कतई पीछे नहीं हैं.

वर्ष 2009 के अक्टूबर महीने में उम्मेन जोहन्सबर्ग केपटाउन में थे. वर्ष 2011 में उन्होंने 27 से 31 मार्च तक शहरों के विकास के मद्देनजर पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल विकास के संबंध में अध्ययन के लिए ब्रसेल्स तथा 5 से 14 अक्टूबर तक बेल्जियम की यात्रा की थी. दोनों यात्राओं के लिए उन्होंने छह लाख 75 हजार 743 रुपये खर्च किए थे. छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में एमडी की हैसियत से पदस्थ राजेश गोवर्धन ने वर्ष 2007 में जर्मनी और 2008 में बेल्जियम की यात्रा की. जबकि हस्तशिल्प बोर्ड में महाप्रबंधक की हैसियत से पदस्थ रहे नरेंद्र सिंह चंदेल ने वर्ष 2007 में जहां दो लाख 39 हजार रुपये के व्यय पर बारी (इटली) की यात्रा की थी तो इसी पद पर रहते हुए वे 16 से 18 मार्च, 2008 तक शिकागो में थे. भारतीय प्रशासनिक सेवा 1981 बैच के अफसर विवेक ढांढ ने भी नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से पांच लाख 58 हजार 572 रुपये के व्यय पर 4 से 9 अक्टूबर, 2009 को स्पेन और पेरिस की यात्रा की थी.

इस यात्रा के दौरान शहरों के योजनाबद्ध तरीके से नवीनीकरण किए जाने वाले प्रयासों का दावा सामने आया था. ढांढ दो से पांच मई, 2010 तक कनाडा के वैंकूवर शहर की यात्रा पर थे. इस यात्रा में पांच लाख पांच हजार 718 रुपये खर्च हुए थे. यात्रा के परिणामों के संदर्भ में महज इतना ही कहा जा सका था कि विभिन्न देशों में वेयर हाउसिंग लॉजिस्टिक के क्षेत्र में हो रही प्रगति से अवगत होकर अनुभव को समृद्ध किया गया. वर्ष 2007 से लेकर दिसंबर, 2012 तक लगभग दो सौ अफसरों ने विदेश यात्राएं की हैं. छत्तीसगढ़ में मंत्रियों और अधिकारियों की यात्रा का यह सिलसिला फिलहाल थमा नहीं है, लेकिन राज्य को इन यात्राओं से फायदा मिलने का इंतजार है.