भारत ने खुलकर रूस के साथ जाने का संकेत दिया है। पश्चिम देशों पर दशकों तक भारत को हथियार नहीं देने का आरोप लगाते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह बड़ा बयान दिया है कि रूस और भारत की बहुत पुरानी दोस्ती है और कहा कि ‘उनके लिए हमारे पड़ोस की सैन्य तानाशाही पसंदीदा साझीदार था।’ उनके बयान को अमेरिका पर सीधा प्रहार माना जा रहा है।
भाजपा के 2014 में देश की सत्ता में आने के बाद रूस से इस तरह की दोस्ती की बात भारत के किसी वरिष्ठ नेता ने पहली बार कही है। यूपीए के समय भारत रूस के करीब रहा है लेकिन अमेरिका से भी उसके सम्बन्ध बेहतर रहे थे।
जयशंकर ने यह बयान ऑस्ट्रेलिया में दिया जहाँ वे यत्र पर गए हैं। उनके बयान को कूटनीतिक हलकों में काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। हाल में अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य मदद के रूप में अरबों डॉलर की मदद दी है जिसका भारत ने विरोध किया है। इसके अलावा पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा भी अमेरिका के बुलावे पर वहां गए हैं।
जयशंकर ने अपने अहम बयान में कहा – ‘रूस से भारत की दोस्ती बहुत पुरानी है , भारत के पास रूसी हथियारों का भंडार इसलिए है क्योंकि, पश्चिम के देशों ने दशकों तक भारत को हथियारों की आपूर्ति नहीं की।’
ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ साझी प्रेस कांफ्रेंस में जयशंकर ने सवालों के जवाब में कहा कि रूस और भारत के संबंधों ने हमारे हितों की निश्चित रूप से रक्षा की है।
जयशंकर ने कहा – ‘जहाँ तक सैन्य उपकरणों की बात है तो आप जानते हैं कि भारत के पास सोवियत काल और रूस निर्मित हथियारों का बड़ा भंडार है। इस भंडार के पीछे की कई वजहें हैं। हथियार प्रणालियों की अपनी गुणवत्ता तो है ही, ये भी सच है कि कई दशकों तक पश्चिम के देशों कई देशों ने कई वजहों से भारत को हथियारों की आपूर्ति नहीं की। उनके लिए हमारे पड़ोस की सैन्य तानाशाही पसंदीदा साझीदार था।’
विदेश मंत्री ने कहा – ‘हम सभी जानते हैं कि हमारे पास जो होता है, हम उसी के डील करते हैं। हम जो फैसले लेते हैं, वह हमारे भविष्य के हित के साथ-साथ वर्तमान के हालात को भी परिलक्षित करते हैं। मुझे लगता है कि हर सैन्य टकराव की तरह मौजूदा सैन्य टकराव (यूक्रेन-रूस) की भी अपनी सीख है। मुझे भरोसा है कि हमारे पेशेवर सैन्य साथी, इसका ध्यान से अध्ययन कर रहे होंगे।’