सार्वजनिक रूप से राजनीतिक लड़ाई में उलझे भारत और कनाडा
भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन के दौरान केंद्र सरकार ने देश को यह संदेश दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से भारत के विदेशी सम्बन्ध बहुत मज़बूत और अच्छे हो रहे हैं, और भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। लेकिन जी20 में हिस्सा लेने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जो कि निजी विमान ख़राब होने की वजह से दो दिन ज़्यादा भारत में ही रुके रहे; जैसे ही अपने देश कनाडा पहुँचे, भारत से रिश्ते ख़राब होने लगे। उनके कनाडा पहुँचते ही कनाडा ने भारत के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत रोक दिया। कनाडा के वाणिज्य मंत्री मैरी एनजी के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए कहा कि कनाडा भारत से द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत रोक रहा है।
यह सब कनाडा के वैंकूवर में तथाकथित खालिस्तानी सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद हुआ। कनाडा ने इस हत्या का आरोप भारत पर लगाते हुए भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया, जिसके बाद भारत ने भी कनाडा के राजनयिक को निष्कासित कर दिया। दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे के राजनयिकों के निष्कासन से झगड़ा और बढ़ गया है। एनएसडीएल के मुताबिक, अगस्त 2023 के अंत में भारतीय बाज़ारों में कनाडा का 1.77 लाख करोड़ रुपये का निवेश था और इसमें से इक्विटी बाज़ारों में 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश था।
सिख नेता की हत्या से बढ़े कूटनीतिक और राजनीतिक टकराव से साल के अंत तक सम्पन्न होने वाले एफटीए यानी मुक्त व्यापार समझौते सहित बढ़ते आर्थिक सम्बन्ध ख़राब हो गये हैं। भारतीय कम्पनियों में कनाडा के भारतीय मूल के नागरिकों के पेंशन फंड, बैंकिंग जमा, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश है। यहाँ यह समझ लेना चाहिए कि कनाडा सिख बहुल है, जिसके चलते हमेशा माना जाता रहा है कि कनाडा में भारत का दबदबा बहुत है। इसके साथ ही कनाडा से भारत को काफ़ी ज़्यादा आय भी होती है; क्योंकि पंजाब से लाखों की संख्या में सिख कनाडा में बसे हुए हैं। लेकिन सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से कनाडाई सिख तो भारत सरकार से नाराज़ दिख ही रहे हैं, पंजाब में भी इसका असर दिख रहा है। भारत सरकार के इस क़दम से पंजाब की राजनीति में हडक़ंप मच गया है। अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल ने कनाडा के साथ भारत के रिश्तों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भी लिखने के अलावा गृह मंत्री अमित शाह से मुला$कात की है।
अब दोनों देशों के राजनयिक सम्बन्ध बिगडऩे से भारत सरकार ने कनाडा में रह रहे अपने नागरिकों को सुरक्षा के ख़तरे की चेतावनी देते हुए ज़्यादा सावधानी बरतने को कहा है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी की गयी एक एडवाइजरी में कहा गया है कि कनाडा में रह रहे भारतीय नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए, विशेष रूप से छात्रों को सतर्क रहना चाहिए। कनाडा में रहने वाले भारतीयों की संख्या काफ़ी ज़्यादा है। हर साल यहाँ से हज़ारों लोग कनाडा जाते हैं, जिनमें छात्र शामिल हैं।
कनाडा में अप्रवासी भारतीयों की एक बड़ी संख्या है, जो व्यापार, नौकरी के पेशे से जुड़े हैं। कनाडा में बसे भारतीयों की वजह से दोनों देशों के बीच कई दशकों से मज़बूत आर्थिक और निवेश सम्बन्ध रहे हैं, जो लगातार गहरे होते रहे हैं। लेकिन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की तरफ़ से भारत पर लगाये आरोप और भारत के राजनयिक को हटाने के फ़ैसले से इन रिश्तों में कड़वाहट आयी है। बता दें कि सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर ट्रूडो ने आरोप लगाते हुए कहा- ‘भारत सरकार ने एक प्रमुख सिख अलगाववादी नेता की हत्या की साज़िश रची है।’ ट्रूडो के इस आरोप के बाद भारत ने सफ़ाई दी। लेकिन भारत कनाडा में मतभेद बढ़ गये और अब सार्वजनिक रूप से दोनों देश झगड़ रहे हैं। अमेरिका इसमें अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंक रहा है।
विदित हो कि भारत और कनाडा के सम्बन्ध हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से ही ख़राब नहीं हुए हैं; इससे पहले जब जून, 2023 में ब्रिटेन में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के प्रमुख अवतार सिंह खांडा की रहस्यमयी मौत हुई थी, तब सिख अलगाववादी नेताओं ने कहा था कि खांडा को ज़हर देकर मारा गया। अलगाववादी सिख संगठनों ने इसे टारगेट किलिंग कहते हुए आरोप लगाया कि भारत सरकार सिख अलगाववादी नेताओं को मरवा रही है। वहीं भारत सरकार ने उस समय लगे इन आरोपों को लेकर अब तक कुछ नहीं कहा है।
दरअसल, भारत में सिखों की आबादी महज़ दो प्रतिशत है। इसमें से भी कनाडा में बसने वाले भारतीय सिखों की संख्या चार प्रतिशत से ज़्यादा है। भारत सरकार का आरोप है कि कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में रहकर कई सिख संगठन भारत विरोधी गतिविधियाँ चला रहे हैं। कनाडा में खालिस्तान समर्थक आन्दोलन इतना मुखर है कि सिखों के लिए अलग खालिस्तान देश को लेकर कई बार माँग उठ चुकी है। इससे भारत और कनाडा के बीच मज़बूत रिश्ते होते हुए भी हल्की कड़वाहट भरे थे, जो सिख नेता निज्जर की हत्या के बाद पूरी तरह कड़वाहट से भर गये। इस घटना का असर इतना हुआ कि आस्ट्रेलिया में स्थित स्वामीनारायण मंदिर के गेट पर खालिस्तान समर्थन में एक झण्डा लटका दिया गया। यह ख़बर ऑस्ट्रेलिया टुडे अख़बार ने दी।
मीडिया में आयी ख़बरों में कहा गया कि इस बार भी जब जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने ट्रूडो दिल्ली पहुँचकर मोदी से मिले, उसी दिन कनाडा के वैंकूवर में सिख नेताओं ने भारत से पंजाब को अलग करने के लिए एक जनमत संग्रह कराया। प्रधानमंत्री मोदी ने सिख नेताओं की इस गतिविधि पर खुलकर नाराज़गी जतायी और कनाडा में सिख संगठनों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों पर एतराज़ जताया, जिसके बाद से भारत और कनाडा के रिश्तों में कड़वाहट बढऩी शुरू हो गयी।
सम्मेलन के दौरान ट्रूडो आधिकारिक अभिवादन के दौरान भी कुछ नाराज़ से दिखे। मीडिया ने यहाँ तक दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रूडो से कहा कि खालिस्तानी समर्थक तत्त्व भारतीय राजनयिकों और भारतीय दूतावासों पर हमले के लिए लोगों को भडक़ा रहे हैं। कनाडा उन्हें रोक पाने में नाकाम रहा है।
मीडिया ने यहाँ तक दावा किया कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा- ‘कनाडा हमेशा ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करेगा। ये ऐसी चीज़ है, जो कनाडा के लिए बहुत अहम है। कनाडा उस समय हिंसा को रोकने, नफ़रत को कम करने के लिए भी हमेशा उपलब्ध हैं। ये भी याद रखा जाना चाहिए कि कुछ लोगों की गतिविधियाँ समूचे कनाडाई समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं।’
लेकिन सही ख़बर यह है कि भारत के कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियाँ चलने की बात पर ट्रूडो ने भारत पर कनाडा की घरेलू राजनीति को प्रभावित करने का आरोप लगाया। कुछ जानकारों का मानना है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जब तक ट्रूडो हैं, तब तक हालात ठीक नहीं हो सकते। ट्रूडो ने इसे निजी मुद्दा बना लिया है, जिसकी वजह उनका वोट बैंक है। अगर वह खालिस्तानी समर्थक सिख संगठनों का विरोध करते हैं, तो उनकी कुर्सी जानी तय है। ट्रूडो खुद को बैकफुट पर देख रहे हैं, इसलिए वह भारत के ख़िलाफ़ मुखर हो चुके हैं।
अर्थव्यवस्था पर होगा असर
भारत और कनाडा के बिगड़ते राजनयिक रिश्तों से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। अगर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की सलाह को मानकर कनाडा में रह रहे भारतीयों ने फ़ैसला लिया, तो कनाडा की अर्थव्यवस्था को नुक़सान होगा। लेकिन इससे भारत को भी नुक़सान होगा; क्योंकि कनाडा से भारत को जो पैसा भारतीय व्यापारियों और वहाँ रहकर नौकरी करने वालों के माध्यम से प्राप्त होता है, उसमें कमी आना तय है।
इसके अलावा भारत की कम्पनियों में कनाडा के भारतीय मूल के सिखों का निवेश कम हो सकता है। इसके अलावा दोनों देशों की पर्यटन से होने वाली आमदनी कम होगी। वहीं जो छात्र भारत से कनाडा पढऩे जाते हैं, उन पर बुरा असर पड़ेगा। हाल ही में कनाडा और भारत के बिगड़ते सम्बन्धों को लेकर कहा जा रहा है कि कनाडा में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र घबराये हुए हैं।
किन देशों से बिगड़े रिश्ते?
भारत के रिश्ते कनाडा से बिगडऩे के बीच यह देखना ज़रूरी है कि कितने देश ऐसे हैं, जो भारत से दुश्मनी रखते हैं; और कितने देश ऐसे हैं, जो भारत के साथ दोहरी कूटनीतिक चाल चल रहे हैं। भारत के खुले दुश्मनों में चीन, पाकिस्तान, मलेशिया, तुर्की और इंडोनेशिया हैं। वहीं भारत के छिपे हुए दुश्मनों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा है। इन छिपे हुए दुश्मनों में कई ऐसे देश हैं, जिनके साथ अच्छे सम्बन्ध होने का प्रधानमंत्री मोदी दावा करते हैं।
दरअसल इन देशों से पिछले कुछ वर्षों में भारत के रिश्ते बिगड़े हैं। प्रधानमंत्री मोदी की ताबड़तोड़ विदेश यात्राओं और विदेशी नेताओं से लगाव के बावजूद रिश्ते बिगड़े हैं; भले ही भारत सरकार इसे स्वीकार न करे। इन देशों में श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और अफ़गानिस्तान जैसे पड़ोसी देश तो शामिल हैं ही, अमेरिका, इजराइल, रूस और जापान जैसे डिप्लोमैटिक देश भी शामिल हैं।