राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को जमानत मिलने के बावजूद नई मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। उनको बाहर आने के लिए अब कोरोना गाइडलाइन का पालन करना होगा। दिल्ली एम्स में इलाज करा रहे लालू को झारखंड हाईकोर्ट ने 18 अप्रैल को ही में जमानत प्रदान की है। अब उनकी रिहाई का रास्ता साफ है, पर कोरोना के चलते यह इंतजार एक हफ्ता बढ़ गया है।
इसकी वजह यह है कि कोरोना के तेजी से प्रसार होने की वजह से झारखंड के वकीलों ने खुद को न्यायिक कार्य से अलग कर रखा है। बता दें कि झारखंड में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए झारखंड राज्य बार काउंसिल ने 25 अप्रैल तक अदालती कार्य नहीं करने आदेश जारी किया है। बार ने राज्य के सभी वकीलों को इसका पालन करने को कहा है। वकील इस दौरान किसी भी तरह की कार्रवाई में शामिल नहीं हो सकेंगे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद को गत 18 अप्रैल को ही हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है, लेकिन 25 अप्रैल तक उनकी रिहाई के लिए जमानत का बांड भरा नहीं जा सकेगा। जमानती बांड भरने के लिए वकीलों का अदालत में जाना अनिवार्य है। बार काउंसिल ने अगली बैठक 25 अप्रैल को बुलाई है। यदि इस दिन न्यायिक कार्य बंद रखने की अवधि बढ़ाई गई तो लालू यादव को रिहाई के लिए और लंबा इंतजार करना पड़ेगा।