लखीमपुर खेरी हत्याकांड के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को एक दिन के भीतर मामले की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। आज इस मामले में सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मामले पर शुक्रवार को ही सुनवाई की जाएगी। अदालत ने राज्य सरकार को घटना के दौरान जान गंवाने वाले किसान लवप्रीत सिंह की मां के उचित इलाज का भी निर्देश दिया है।
सर्वोच्च अदालत ने आज यूपी सरकार से कहा कि इस मामले में विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाए, जिसमें जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर की गई है, उनके नाम और पीड़ित कौन हैं उनके नाम भी शामिल होने चाहिए। इसके अलावा अब तक क्या कदम उठाया गया है और जांच की स्थिति क्या है, यह सब कुछ रिपोर्ट में बताया जाए।
याद रहे पहले यह रिपोर्ट्स आई थीं कि सर्वोच्च अदालत ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया है, हालांकि, आज की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि हमने रजिस्ट्री से कहा था कि वकीलों के पत्र को पीआईएल के तौर पर ट्रीट किया जाए। पत्र लिखने वाले वकीलों को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में जोड़ने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि दो वकीलों शिवकुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने लखीमपुर मुद्दे पर पत्र लिखा था, वो भी अपना पक्ष रखें। आज यूपी सरकार कि ओर से वकील गरिमा प्रसाद पेश हुईं।
आज कोर्ट ने राज्य सरकार को जान गनवाने वाले किसान लवप्रीत सिंह की मां के उचित इलाज देने भी निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायधीश ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान दोनों वकीलों के पत्र पर लिया है। दोनों वकीलों के पेश होने पर हम आगे कि सुनवाई करेंगे, उन्हें तत्काल पेश होने का निर्दश दिया जाए। साथ ही कहा कि रजिस्ट्री ने इस मामले को स्वत: संज्ञान के तौर पर गलती से लगा दिया। मैंने वकीलों के पत्र को पीआईएल के तौर पर ट्रीट करने को कहा था।
वकील शिव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को लखीमपुर कि घटना को लेकर इसलिए पत्र लिखा क्योंकि प्रशासन के नजरअंदाज किए जाने कि वजह से किसान मारे गए। मानवाधिकार का सीधे तौर पर उल्लंघन हुआ है और यूपी सरकार ने इस मामले में जरूरी कदम नहीं उठाए। इसके बाद सीजेआई ने यूपी सरकार कि ओर से पेश हुई गरिमा प्रसाद को बोलने को कहा।