कैसे श्रीलंका से चलने वाला एक रेडियो स्टेशन भारत में सबसे ज्यादा सुना जाने लगा.
श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (एसएलबीसी) जो पहले रेडियो सीलोन के नाम से जाना जाता था, 1923 में अपनी स्थापना के बाद से ही अंग्रेजी संगीत के कार्यक्रमों के चलते एशिया में सबसे लोकप्रिय स्टेशनों में गिना जाने लगा था. तब ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) पर फिल्मी गानों पर आधारित मनोरंजक कार्यक्रम नहीं थे. आजादी के बाद जब एआईआर सरकार के केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन आया तब भी इस दिशा में कोशिशें नहीं हुईं.
इसके लिए तब के सूचना प्रसारण मंत्री बीवी केसकर की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जाता है. वे मानते थे कि फिल्म संगीत ‘अश्लील और ओछा’ है और सरकारी रेडियो की स्थापना के उद्देश्यों से मेल नहीं खाता. जबकि उस दौर में हिंदी फिल्मों के गीत-संगीत की लोकप्रियता अपने शिखर पर थी.
1950 के आस-पास ही रेडियो सीलोन पर अंग्रेजी पॉप गानों के काउंट डाउन का एक कार्यक्रम बिनाका हिट परेड शुरू हुआ. यह कार्यक्रम भारतीय श्रोताओं के बीच इतनी तेजी से लोकप्रिय हुआ कि रेडियो सीलोन के कोलंबो स्थित दफ्तर में भारत से ऐसे हजारों खत पहुंचने लगे जिनमें हिंदी फिल्मों के गानों का ऐसा ही कार्यक्रम शुरू करने की मांग की गई थी. यह प्रतिक्रिया देखते हुए रेडियो सीलोन ने 1951 में बंबई में रेडियो एडवर्टाइजिंग सर्विस शुरू की. इस एजेंसी का काम रेडियो के लिए विज्ञापन जुटाना और उनका निर्माण करना तो था ही, यह हिंदी फिल्मों से जुड़े मनोरंजक कार्यक्रमों का निर्माण भी करती थी. इसके एक साल बाद ही रेडियो सीलोन पर हिंदी फिल्मों के गानों का काउंट डाउन शुरू हुआ. अमीन सयानी की जादुई आवाज के साथ ‘बिनाका गीतमाला’ नाम का यह कार्यक्रम एक महीने में ही पूरे भारत में इतना लोकप्रिय हो गया कि बुधवार के दिन आम तौर पर लगभग हर रेडियो श्रोता यही सुनता था. हिंदी सेवा रेडियो सीलोन के लिए सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली सेवा बन गई.
यह देखते हुए आखिरकार सूचना प्रसारण मंत्रालय को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सोचना पड़ा. खुद केसकर ने इस दिशा में पहल की और रेडियो सीलोन के श्रोताओं को आकर्षित करने के लिए 1957 में विविध भारती की सेवाएं शुरू हुईं. इस पर फिल्म संगीत से जुड़े कई कार्यक्रम शुरू किए गए जिनसे बाद में भारतीय श्रोता जुड़े भी. रेडियो सीलोन का एकाधिकार टूटा जरूर लेकिन बाद के कई सालों तक बिनाका गीतमाला भारत में रेडियो पर सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम बना रहा.
-पवन वर्मा