भूमिहीनों का सत्याग्रह

क्या है जनसत्याग्रह 2012? 
गांधी जयंती के दिन देश के 26 राज्यों से आए लगभग 50,000 किसानों और आदिवासियों ने ग्वालियर से दिल्ली तक की पदयात्रा की शुरुआत की. जल-जंगल-जमीन पर अपने अधिकारों की मांग की इस अहिंसक यात्रा को आयोजकों ने जनसत्याग्रह का नाम दिया है. एकता परिषद के संस्थापक पीवी राजगोपाल के नेतृत्व में आयोजित इस विशाल पदयात्रा को 350 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 29 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचना था. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्वामी अग्निवेश और बाबा रामदेव भी इस यात्रा में शामिल होकर सत्याग्रह का समर्थन कर चुके हैं.

सत्याग्रहियों की मुख्य मांगें क्या हैं?
जनसत्याग्रह 2012 के अंतर्गत दस सूत्री मांग-पत्र तैयार किया गया है जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर समग्र भूमि सुधार नीति लागू करना, त्वरित भूमि अधिकार न्यायालयों का गठन करना, आदिवासियों पर होने वाले सामंती और पुलिस उत्पीड़न पर रोक लगाना, महिलाओं को भूसंपत्ति में स्वामित्व का समान अधिकार देना, ग्राम सभाओं को मजबूत करना और दलितों, आदिवासियों एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करना आदि मुख्य हैं.

जनसत्याग्रह का परिणाम क्या निकला?
कई दिनों की पदयात्रा करते हुए सत्याग्रही 9 अक्टूबर को आगरा पहुंचे थे. केंद्र सरकार सत्याग्रहियों को दिल्ली पहुंचने से पहले ही मनाने की हरसंभव कोशिश कर रही थी. सरकार की तरफ से केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और जनसत्याग्रह के प्रतिनिधियों के बीच इसे लेकर बातचीत चल रही थी. इससे पहले 29 सितंबर को सत्याग्रहियों और रमेश के बीच बातचीत का क्रम टूट चुका था. 11 अक्टूबर को रमेश एख बार फिर से एक समझौता पत्र लेकर आगरा पहुंचे. समझौते के अनुसार केंद्र सरकार ने सत्याग्रहियों की सभी 10 मांगों को स्वीकार कर लिया है. समझौते पर हस्ताक्षर के साथ राजगोपाल ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी.

-राहुल कोटियाल