विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने रूस पर सभी बड़े खेल मुकाबलों में चार साल के लिए भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस वजह वह अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक और 2000 के कतर फीफा विश्व कप फुटबाल में हिस्सा नहीं ले सकेगा। इसका अर्थ होगा कि रूस का झंडा और उसका राष्ट्रगान किसी बड़े खेल महाकुंभ का हिस्सा नहीं बनेंगे। पर वे खिलाड़ी जो यह साबित कर देंगे कि वे डोपिंग में शामिल नहीं हैं, वे तटस्थ झंडे तले खेलों में हिस्सा ले सकेंगे।
‘वाडा’ ने यह फैसला रूस की ‘डोपिंग रोधी एजेंसी’ (रूसाडा) की प्रयोगशालाओं के उस डाटा को अयोग्य करार दिए जाने के बाद लिया जो ‘डाटा’ उन्होंने इस साल जनवरी में दिया था। इस मुद्दे पर ‘वाडा’ के प्रवक्ता जेम्स फिट्जगेराल्ड ने कहा कि ‘वाडा’ की सिफारिशें आम सहमति से मान ली गई हैं। ‘वाडा’ की कार्यकारी समिति ने आम सहमति से यह भी मान लिया है कि ‘रूसाडा’ ने चार साल तक नियमों का पालन नहीं किया है।
सवालिया निशान ‘रूसाडा’ पर लगा है, पर खिलाड़ी तटस्थ झंडे के तले खेलों में भाग ले सकते हैं। पर उन्हें यह साबित करना होगा कि वे रूसी डोपिंग कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थे, जैसा कि मैकलारेन रिपोर्ट में कहा गया है या उनके नमूनों में हेराफेरी नहीं की गई है। ‘वाडा’ के इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए रूस के पास 21 दिन का समय है। यदि यह अपील होती है तो इस अपील को खेल पंचाट न्यायालय (सीएएस) में भेजा जाएगा। ‘वाडा’ की उपाध्यक्ष लिंग हेलेलैंड ने चार साल के प्रतिबंध को कम बताया है। उसने कहा है कि यह प्रतिबंध काफी नहीं है। लेकिन इस फैसले पर रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने इसे ओलंपिक चार्टर के भी खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि रूसी ओलंपिक समिति की अवहेलना करने का कोई कारण नहीं है। रूस अपने झंडे तले खेलों में भाग लेगा। रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव ने इसे रूस विरोधी उन्माद का सिलसिला बताया, जो अब नासूर बन चुका है।
पांच की ओलंपिक चैंपियन स्वेतलाना रोमाशिना का कहना है कि यह प्रतिबंध उन खिलाडय़िों पर भी धब्बा है जो साफ-सुथरी तरह से खेलते हैं। उन्होंने कहा कि जो खिलाड़ी साफ हैं, उन्हें यह फैसला नामंजूर है। पर हम ‘वाडा’ के साथ तर्क नहीं कर सकते। उनके पास यह प्रतिबंध लगाने की कोई वजह होगी।
इस बीच राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। उधर, रूसी अधिकारियों और खिलाडय़िों ने इसे रूस के खिलाफ एक मुहिम बताया है। दूसरी ओर, ‘वाडा’ की जांच समिति के प्रमुख कैनेडा के वकील रिसर्च मैकलैरन का दावा है कि रूसी खेल मंत्रालय एफएसबी सुरक्षा सेवा ने व्यवस्थित तरीके से चल रही ‘डोपिंग’ को छिपाया। उन्होंने कहा कि रूस ने विश्व एथलेटिक्स मॉस्को, विश्व यूनिवर्सिटी खेल कज़ान 2013, और 2014 की ‘सोची’ शीतकालीन खेलों में यह सब किया।
राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि ‘वाडा’ की यह रिपोर्ट एक व्यक्ति की गवाही पर निर्भर है। आज ओलंपिक आंदोलन दो फाड़ होने के कगार पर आ गया है। उन्होंने कहा कि ‘डोपिंग’ की खेलों में कोई जगह नहीं है। यह खिलाडय़िों की सेहत के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि रूस के जिन अधिकारियों का नाम इसमें आया है, उन्हें अस्थायी तौर पर निलंबित किया जाएगा। उन्होंने ‘वाडा’ से इस मुद्दे पर और जानकारी मांगी है। उन्होंने खेलों में राजनीतिक हस्तक्षेप का भी विरोध किया। उन्होंने ‘शीत युद्ध’ के दौरान ओलंपिक के बहिष्कार का जिक्र किया और कहा ओलंपिक समुदाय फिर बंट सकता है।
इतना होने के बाद भी रूस यूरो-2020 में खेलेगा। ध्यान रहे कि रूस पर 2015 से ही राष्ट्र के तौर पर खेलने पर प्रतिबंध है। पर वह यूरो-2020 में खेलेगा क्योंकि यूरोप की खेल संस्था यूईएफए को खेल के बड़े आयोजकों में नहीं गिना जाता है। इतना ही नहीं, वह 2022 फीफा विश्व कप क्वालिफायर्स में भाग ले सकता है, क्योंकि इससे विश्व चैंपियन तय नहीं होगा।
देखना यह है कि यदि रूस भाग नहीं लेता तो किन बड़े खिलाडय़िों से विश्व वंचित रहेगा। इनमें शामिल हैं –
- मरियन लसिस्टकेन (महिला हाई जम्पर) – वह विश्व की नंबर एक एथलीट हैं, जिसने 2017 और 2019 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते।
- अंजेलिका सिदोरोवा (महिला पोलवॉल्ट)
दोहा विश्व चैंपियनशिप-2019 में स्वर्ण और यूरोपीय चैंपियनशिप 2019 में भी स्वर्ण पदक।
- मिखायल अकिमेंको (पुरुष हाई जंप) : दोहा विश्प चैंपियनशिप में रजत पदक
- इल्लिया आईवनयुक (पुरुष ऊंची कूद)
- सर्जेई शुबेंकोव (पुरुष बाधा दौड़)
- वासिली मिजिनोव (एथलेटिक्स)
- निकिता नागोर्नी (पुरुष जिम्नास्ट)
- व्लादिमीर मोरोजोव (पुरुष तैराक)
- क्लिमेंट कोलेस निकोव (पुरुष तैराक)
- एंटोन चुपकोव (पुरुष तैराक)
- इवजेनी रिलोव (पुरुष तैराक)
- युलिआ इफिनोवा (महिला तैराक)
- दानिल मेदवेदेव (पुरुष टेनिस)
- रॉमन व्लासोव (पुरुष कुश्ती)