जयशंकर का यह ब्यान उन चर्चाओं के बीच आया है जिनमें कहा जा रहा है कि रूस के खिलाफ भारत का रुख ‘कड़ा नहीं है’। अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी भारत पर आरोप लगा रहे हैं कि भारत रूस के निकट चला गया है। आलोचनाओं को लेकर जयशंकर ने कहा – ‘यूरोप रूस से युद्ध के पहले की तुलना में ज्यादा तेल खरीद रहा है। जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो ये स्वाभाविक है कि कोई भी देश बाजार में जाकर देखेगा कि उनके लोगों के लिए क्या अच्छा सौदा हैं।’
याद रहे अमेरिका ने कल ही धमकी दी है कि रूस पर प्रतिबंधों से बचने के लिए भारत को परिणाम भुगतना होगा। हालांकि, इन सबसे बेपरवाह विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा – ‘मुझे पूरा यकीन है कि अगर हम दो या तीन महीने तक प्रतीक्षा करें और वास्तव में देखें कि रूसी तेल और गैस के बड़े खरीदार कौन हैं, तो मुझे संदेह है कि सूची पहले की तुलना में बहुत अलग नहीं होगी। हम उस सूची में शीर्ष 10 में भी नहीं होंगे।”
इस बीच जयशंकर ने दो दिन के भारत दौरे पर आये रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ शुक्रवार को मुलाकात की। उन्होंने इस दौरान कहा कि ‘भारत ने अपने एजेंडे का विस्तार करते हुए सहयोग में विविधता लाने की कोशिश की है। हमारी आज की बैठक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनावपूर्ण हो रही स्थिति पर हुई। भारत हमेशा से मतभेदों या विवादों को बातचीत और कूटनीति के जरिये सुलझाने का पक्षधर रहा है।’