रफाल लड़ाकू विमान सौदे में आरोपों की फ्रांस में जांच का मीडियापार्ट वेबसाइट का दावा

रफाल लड़ाकू विमान के 59,000 करोड़ रुपये के खरीद सौदे में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा फिर गरमा गया है। मोदी सरकार की इस खरीद को लेकर पहले भी कई सवाल उठते रहे हैं और कांग्रेस नेता राहुल गांधी इसे लेकर हमेशा सरकार पर हमलावर रहे हैं। अब यह मामला फ्रांस के न्यायालय में पहुंचता दिख रहा है क्योंकि इस खरीद की न्यायिक जांच का फैसला करते हुए एक फ्रांसीसी जज की नियुक्ति कर दी गयी है।
फ्रांस की ऑनलाइन मीडिया वेबसाइट मीडियापार्ट, जिसने कुछ समय पहले इस मामले में भ्रष्टाचार को लेकर दस्तावेजों के साथ कुछ खुलासे किये थे, ने अब जानकारी दी है कि ‘साल 2016 में हुई इस इंटर गवर्नमेंट डील की अत्यधिक संवेदनशील जांच औपचारिक रूप से 14 जून को शुरू की गई थी’। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 जुलाई को फ्रांसीसी लोक अभियोजन सेवाओं की वित्तीय अपराध शाखा ने इस बात की पुष्टि की है।
रफाल को लेकर फ्रांस सरकार का यह बड़ा कदम है। यदि जांच में कुछ गड़बड़ पाई जाती है तो भारत में पहले ही कुछ संकटों से घिरी दिख रही मोदी सरकार के लिए दिक्क्तें गंभीर रुख अख्तियार कर सकती हैं। रिपोर्ट से जाहिर होता है कि 59,000 करोड़ रुपये के रफाल सौदे में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की फ्रांस में न्यायिक जांच शुरू हो गयी है। याद रहे इसी फ्रांसीसी वेबसाइट ने इसी साल अप्रैल में रफाल सौदे में कथित गड़बड़ियों पर सिलसिलेबार रिपोर्ट प्रकाशित की थीं जिसमें कुछ दस्तावेजों का भी हवाला दिया गया था।
बता दें मीडियापार्ट ने उस समय अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया था कि ‘फ्रांस की सार्वजनिक अभियोजन सेवाओं की वित्तीय अपराध शाखा के पूर्व प्रमुख, इलियाने हाउलेट ने सहयोगियों की आपत्ति के बावजूद रफाल जेट सौदे में भ्रष्टाचार के कथित सबूतों की जांच को रोक दिया’। हाउलेट ने हालांकि, फ्रांस के हितों, संस्थानों के कामकाज को संरक्षित करने के नाम पर जांच को रोकने के अपने फैसले को सही ठहराया।
अब मीडियापार्ट ने एक ताजा रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें दावा किया गया है कि
‘अब, पीएनएफ के नए प्रमुख जीन-फ्रेंकोइस बोहर्ट ने जांच का समर्थन करने का फैसला किया है। आपराधिक जांच तीन लोगों के इर्द-गिर्द रहेगी जिनमें फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद, जो सौदे पर हस्ताक्षर किए जाने के समय पद पर थे, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, जो उस समय हॉलैंड के वित्त मंत्री थे और विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन, जो उस समय रक्षा विभाग संभाल रहे थे, शामिल हैं।’