बीएस येदियुरप्पा शुक्रवार को चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री हो गए। राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल वजुभाई वाला ने येदियुरप्पा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
उन्होंने अकेले ही पद की शपथ ली। राज्यपाल ने उन्हें बहुमत सिद्ध करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। वे चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने हैं। येदियुरप्पा कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष भी हैं। एक लिंगायत नेता के नाते येदियुरप्पा की राज्य की राजनीति में मजबूत पैठ है और अक्सर कहा जाता है कि वे इसी का फायदा उठाकर कई बार भाजपा आलाकमान की सलाह को भी नजरअंदाज करने से नहीं हिचकते हैं।
यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि वे कैसे विधानसभा में अपना बहुमत साबित करेंगे। स्पीकर रमेश कुमार को अभी भी १५ बागी विधायकों के भविष्य पर फैसला करना है। जानकारों के मुताबिक यदि स्पीकर इन विधायकों के इस्तीफे नामंजूर कर देते हैं तो येदियुरप्पा के लिए बड़ी दिक्कत आ सकती है।
गौरतलब है कि येदियुरप्पा ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का आज सुबह दावा पेश किया था और राज्यपाल ने उन्हें शाम ६ बजे शपथ के लिए बुलाया था। आजके शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा भी मौजूद थे। वे अब भाजपा में ही हैं। राज्य भाजपा के तमाम बड़े नेता भी उपस्थित थे।
येदियुरप्पा की शपथ तब हुई है जब विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश को अभी १५ और बागी विधायकों को लेकर फैसला करना है जबकि तीन को स्पीकर ने गुरूवार को सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था। माना जाता है कि पहले शपथ का समय दोपहर १२.३० बजे का था और इसका पत्र भी तैयार हो गया था लेकिन बाद में में इसे काटकर ६ बजे कर दिया गया।
विश्वास मत के बाद सदन की जो स्थिति सामने आई है उसके मुताबिक कांग्रेस-जेडीएस के पास ९९ और भाजपा के पास १०५ सदस्य संख्या है। कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार बनाने की गंभीर कोशिशों में जुटे थे। ऐसा माना जाता है कि भाजपा आलाकमान उनकी इस जल्दबाजी से सहमत नहीं थी और चाहती थी कि वे थोड़ा इन्तजार करें। लेकिन येदियुरप्पा को लग रहा था कि सरकार न बनने में देरी पर कहीं बागी कांग्रेस-जेडीएस विधायक अपना इरादा न बदल लें।
यह माना जाता है कि येदियुरप्पा को लगता है कि भाजपा उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देगी लिहाजा वे हर हालत में मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। भले इसके लिए उन्हें भाजपा आलाकमान को नाराज करना पड़े। पिछले दिनों में येदियुरप्पा ने जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आदि से सरकार बनाने की अपनी इच्छा को लेकर संपर्क किया था, तो माना जाता है कि उन्हें कोइ गर्मजोशी भरा रेस्पांस नहीं मिला था।