उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब राज्य की प्रतिभाओं को वापस लाने के लक्ष्य के लिए परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था के लिए राजस्व के प्रमुख स्रोत के रूप में योगदान दे रहे बॉलीवुड को नया विकल्प प्रदेश में मिल सकता है। नोएडा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट (जेवर) और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के आसपास यमुना एक्सप्रेस-वे पर बन रहे इकोनॉमिक हब में करीब 1000 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित मेगा फिल्म सिटी स्थापित करने का दृढ़ संकल्प अब एक कदम और आगे बढ़ चुका है।
राजनीतिक रूप से इस चतुर ‘चाल’ को लेकर शिवसेना नेताओं की जवाबी प्रतिक्रिया देखने को मिली, हालांकि योगी की सक्रिय उदारवादी नीतियों के वादों ने कई प्रमुख फिल्मी हस्तियों को यूपी सरकार के प्रस्तावों की तरफ आकर्षित किया। महत्वाकांक्षी फिल्म सिटी परियोजना के निष्पादन का जिम्मा अतिरिक्त मुख्य सचिव, एमएसएमई और सूचना नवनीत सहगल को सौंपा गया है।
नवनीत सहगल ने अपने सामने की बड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने की मजबूत क्षमता को तब साबित किया जब उन्होंने लॉकडाउन के दौरान योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी परियोजना ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) के तहत उत्पादन, वितरण और कारीगरों की कौशल विकास गतिविधियों के जरिये प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार के बड़े अवसर पैदा करने के अलावा रिकार्ड समय में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के काम को पूरा किया। इसके अलावा ‘बीमार’ खादी और ग्रामोद्योग और एमएसएमई क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका अदा की।
उत्तर प्रदेश सरकार और यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण फिल्म सिटी में स्टूडियो और उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने के इच्छुक दलों के लिए सामान्य सुविधा, बुनियादी ढांचे का निर्माण करेंगे। पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष राजू श्रीवास्तव के आयोजित एक समारोह में भाग लिया और राहुल मित्रा, सुभाष घई, बोनी कपूर, मनमोहन शेट्टी, सतीश कौशिक, अर्जुन रामपाल, जयंतीलाल गडा, तिग्मांशु धुलिया, अनिल शर्मा और रवि किशन जैसी फिल्मी हस्तियों से मुलाकात की। अभिनेता अक्षय कुमार भी फिल्म सिटी के लिए अपने प्रोजेक्ट के साथ मुंबई में अलग से मिले। अक्षय ने अयोध्या में अपनी आगामी फिल्म ‘राम सेतु’ की शूटिंग की अपनी योजनाओं पर भी चर्चा की, जिसके लिए तत्काल अनुमति और सुरक्षा व्यवस्था की गारंटी दी गई।
फिल्म निर्माता और निर्देशक प्रकाश झा ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में मुलाकात कर राज्य सरकार की नोएडा में नई फिल्म सिटी परियोजना पर चर्चा की। योगी से मुलाकात के बाद प्रकाश झा ने कहा, ‘यहां मनोरंजन उद्योग के लिए वातावरण बहुत उत्साहजनक है। हम इसका समर्थन करेंगे। मैं बहुत सारे अवसर देखता हूं।’ दिलचस्प बात यह है कि प्रकाश झा पिछले तीन साल से अपने टीवी धारावाहिक ‘आश्रम’ की शूटिंग कर रहे हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश के 52 अभिनेताओं सहित लगभग 1000 अभिनय जगत के लोग शामिल हैं।
नवनीत सहगल ने ‘तहलका’ को बताया कि यूपी सरकार की उदार नीतियों ने बॉलीवुड को कई क्षेत्रीय भाषाओं, पारंपरिक अनुष्ठानों और सांस्कृतिक विरासत के साथ विशाल राज्य में विभिन्न स्थानों पर शूटिंग करने का फायदा उठाने के लिए आकर्षित किया है। राज्य कर छूट के लाभों के साथ प्रोत्साहन के रूप में 2.5 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी प्रदान करता है। राज्य ने सभी अनुमतियों के लिए एकल खिड़की प्रणाली को अपनाया है।
यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) के सीईओ अरुणवीर सिंह ने बताया कि नोएडा फिल्म सिटी प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए एक फॉर्च्यून 500 कंपनी सीबीआरई साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड को सलाहकार के रूप में चुना गया है। कंपनी दो महीने के भीतर डीपीआर तैयार करेगी। इसका फैसला भी वाईईआईडीए के सीईओ अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा किया गया था। सिंह ने बताया, चार एजेंसियों ने निविदा के अनुसरण में इस प्रतिष्ठित परियोजना के लिए बोली में भाग लिया था। हमने 29 नवंबर को वित्तीय बोलियां खोलीं और इस परियोजना के विकास में तेजी लाने के लिए नोडल एजेंसी को अंतिम रूप दिया।
वाईईआईडीए तीन मॉडल पर काम करने का इच्छुक है : परियोजना को विकसित करने के लिए सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (पीपीपी), अकेले प्राधिकरण या कोई अन्य एकल डेवलपर। डीपीआर प्रभावी रूप से स्थायी समाधान खोजने के लिए सभी विकल्प देखेगा। इसमें फिल्म सिटी परियोजना के लिए समर्पित क्षेत्र के लेआउट और परियोजना की वित्तीय व्यवहार्यता का विवरण होगा। अध्ययन का उद्देश्य विकास के लिए एक व्यवहार्य वित्तीय मॉडल का सुझाव देना है। परामर्शदाता एजेंसी सभी बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने और व्यक्तिगत पार्टियों को भूमि पट्टे पर देने के लिए एकल निजी डेवलपर को पूर्ण भूमि हस्तांतरण के विकल्प पर सक्रिय रूप से विचार करेगी। वाईईआईडीए साइट योजना तैयार करता है और इच्छुक पार्टियों को व्यक्तिगत भूखंड पट्टे पर देता है। उत्तर प्रदेश और वाईईआईडीए ने हाथ मिलाते हुए बुनियादी ढांचे का निर्माण और फिल्म शूटिंग के काम को आगे बढ़ाने के लिए कमर कस ली है। सीएम योगी ने कहा, ‘हम किसी के निवेश या अवसर को छीन नहीं रहे हैं। हम यूपी में एक और विश्वस्तरीय फिल्म सिटी का प्रस्ताव कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हम देश को अत्याधुनिक नई फिल्म सिटी देने की प्रक्रिया में हैं। हम एक नई चीज दे रहे हैं – अंतरराष्ट्रीय मानकों का एक उत्कृष्ट बुनियादी ढांचा। सभी को बड़ा होने, बड़ा सोचने और लोगों और निवेश को आकर्षित करने के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की आवश्यकता है। यह बेहतर सुविधाएं और एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए एक खुली प्रतियोगिता है और इसके लिए यूपी प्रतिबद्ध है।’ सीएम ने आगे कहा, ‘यह एक पिक एंड चूज मामला नहीं है और राज्य सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए अपनी उदारीकृत निवेशक अनुकूल नीतियां तैयार की हैं। एक निवेशक को एक सुरक्षित वातावरण, लाभकारी नीतियों और एक भूमि बैंक और अन्य बुनियादी ढांचे की ज़रूरत होती है, जिसे उत्तर प्रदेश बिना किसी अड़चन के उपलब्ध करवा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पास अपने अधिकार में सभी संसाधन हैं जो निवेशकों के लिए यूपी को एक आदर्श केंद्र बनाते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारा एकमात्र उद्देश्य यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के प्रयासों में अपना योगदान फिल्म सिटी के रूप में दे रही है।’
योगी आदित्यनाथ की सक्रियता से खफा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने योगी के ‘मिशन बॉलीवुड’ पर हमला करते हुए कहा, ‘कोई भी महाराष्ट्र में आकर यहां जे फि़ल्म इंडस्ट्री को दूर नहीं ले जा सकता है।’ फिल्म सिटी को मुंबई के मुकुट में एक अनमोल रत्न की तरह माना जाता है और जब योगी आदित्यनाथ ने निवेश के लिए सपनों के इस शहर के आसपास यात्रा की तो महाराष्ट्र सरकार ने इसे सहजता से नहीं लिया।
शिवसेना नेता संजय राउत ने इस कदम को सांप्रदायिक राजनीति से जोड़ा तो वहीं महारष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि कोई अन्य राज्य मुंबई जैसी सुविधाएं प्रदान कर सकता है, जैसी हमने की हैं। हम बेहतर कानून व्यवस्था का उदाहरण पेश करते हैं। मुझे विश्वास है कि फिल्म उद्योग कहीं और नहीं जा सकता है।’
उत्तर प्रदेश में नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व वाले कांग्रेस शासन के कार्यकाल के दौरान भी दिल्ली और आसपास के सेक्टर-16ए, नोएडा में अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म सिटी परियोजना के लिए फिल्म निर्माण गतिविधियों को लाने का प्रयोग किया गया था। फिल्म सिटी ने शुरू में प्रमुख फिल्म हस्तियों और उत्पादन संस्थाओं द्वारा बड़े स्टूडियो और नियमित शूटिंग की एक श्रृंखला स्थापित की गयी, हालाँकि, इसका अधिकांश स्थान या तो बड़े कॉर्पोरेट घरानों द्वारा अपने संबंधित कार्यालयों के लिए या उच्च प्रीमियम मूल्य पर व्यावसायिक गतिविधियों के लिए पट्टे पर दिया गया या खरीदा गया है। लिहाजा फिल्म निर्माण गतिविधियों का उद्देश्य फ्लॉप रहा था।
यमुना एक्सप्रेस-वे पर 780:220 एकड़ के औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग के अनुपात के साथ रणनीतिक रूप से डिज़ाइन किए गए प्रमुख फिल्म सिटी के सफलतापूर्ण निर्माण के सामने भी कुछ इसी तरह की चुनौतियाँ हैं। खासकर फि़ल्मी हस्तियों के विश्वासघात के कड़वे अनुभवों से सबक लेना जरूरी है जिन्होंने उन्हें बहुत कम कीमत पर मिले भूखंडों को बड़े लाभ की कमाई का जरिया बना दिया था।