यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग को लेकर भारत में कृषि से जुड़े कार्य पर काफी विपरीत असर पड़ रहा है और आने वाले दिनों में ये भी संभावना जतायी जा रही है ये विकराल रूप धारण कर सकता है। कारण साफ है कि यूक्रेन एक प्रमुख खाद्यान्न जैसे गेहूं और मक्का उत्पादक है और रूस प्राकृतिक गैस का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
ऐसे हालात में भारत के लिये उर्वरक आपूर्ति और कीमतों को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकती है।डी यू के टीचर व विदेश मामलों के जानकार प्रो. ए के सिंह का कहना है कि अगर युद्ध अगले सप्ताह तक समाप्त नहीं होता है। तो हमारे देश की कृषि व्यवस्था पर विपरीत असर पड़ेगा।
क्योंकि युद्ध के पहले ही वैश्विक उर्वरक बाजार को बाधित कर दिया था क्योंकि रूस उर्वरक और संबंधित कच्चे माल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। यह यूरिया, एनपीके, अमोनिया, यूएएन और अमोनियम नाइट्रेट का सबसे बड़ा निर्यातक है। और तीसरा सबसे बड़ा पोटाश निर्यात भी है।उन्होंने बताया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा यूरिया का आयातक है। जिसमें फास्पेटिक और पोटाश उर्वरकों का भी काफी आयात करता है। यूरिया का आयात प्रति वर्ष 8-9 मिलियन टन की मात्रा में होता है, जो ज्यादातर यूक्रेन से होता है।
किसान नेता चौ. वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि भारतीय किसानों को पहले ही महंगाई के चलते खाद्य खरीदना मुश्किल हो रहा था युद्ध के चलते खाद के दाम फिर से आसमान छू रहे है ऐसे हालात मं भारत सरकार को चाहिये की वह किसानों की माली हालत को देखते हुये कोई सार्थक पहल करें ताकि जो आने वाले दिनों में वाधा आ सकती है। उसको दूर करें और किसानों के लिये कम से कम दाम तय करें।