मौसमी बीमारियों के साथ कोरोना का खतरा और घातक

कोरोना का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है बल्कि बरसाती मौसम में डेंगू , स्वाइन फ्लू के साथ –साथ जलजनित बीमारियों का प्रकोप बढने से कोरोना का संक्रमण तेजी से शहरों के साथ –साथ गांव-गांव में विकराल रूप धारण करता जा रहा है।

डाँक्टरों और  वैज्ञानिकों द्वारा परीक्षण से इस बात की पुष्टि भी हुई है कि बरसाती मौसम में संक्रमित बीमारियों के कारण बच्चे, युवा और बुजुर्ग को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पडता है। नीति आयोग के सदस्य डाँ वी के पाँल  पहले ही मौसमी बीमारियों खासकर बरसाती मौसम में सावधानी बरतने की अपील कर चुके है। मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार का कहना है कि कोरोना काल में संक्रमण से बचने के लिये सावधानी बरतनी चाहिये । क्योंकि जिनको हार्ट रोग, मधुमेह और उच्चरक्त चाप की शिकायत है, उन्हें जरा सी स्वास्थ्य संबंधी अगर दिक्कत है, तो डाक्टरी परामर्श लेना चाहिये और इलाज भी करवाना चाहिये।इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डाँ आर एन कालरा का कहना है कि शहरों के साथ अब गांवों में कोरोना के मामले बढने से इस बात की आशंका बढने लगी है कि गांवों में समय रहते काबू ना पाया जा सका तो परिणाम घातक हो सकते है।डाँ कालरा का कहना है कि डेंगू , चिकुनगुनिया, मलेरिया और जलजनित से होने वाली बीमारियों के लक्षण कोरोना जैसे ही होते है। इसमें रोगी को हल्का बुखार ,  खांसी का आना जैसे लक्षण होते है। इसलिये कोरोना के नाम पर घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि इलाज करवाये ताकि कोरोना को काबू पाया जा सकें ।उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के वैज्ञानिकों  अध्ययन से इस बात का खुलासा हुआ है कि कोरोना और डेंगू दोनों के ही एंटीवाँडी आपस में मिश्रित होकर संक्रणण की जांच को प्रभावित करते है,जिसके चलते फाँल्स पाँजीटिव रिर्पोट आने की संभावना बढ जाती है। डाँ कालरा का कहना है कि कोई भी रोग ऐसा नहीं है जिसका ईलाज ना निकला हो  कोरोना के ईलाज को लेकर वैक्सीन आने से कोरोना को काबू पा लिया जायेगा। लेकिन तब तक सावधानी और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। संक्रमित स्थानों में जाने से बचें।गांबों में आज भी स्वास्थ्य सेवायें लचर है ऐसें में कोरोना का बढना चिंता की बात है । सरकार के साथ आम लोगों को जागरूक होना होगा।